पर्यावरण प्रदूषण के मामलों में अनुकरणीय सजा दें अदालतें : जस्टिस मलिमठ
हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ ने पर्यावरण प्रदूषण मामले में अनुकरणीय सजा देने पर जोर दिया है।
जागरण संवाददाता, नैनीताल : हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एवं उच्च न्यायालय राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यपालक अध्यक्ष न्यायमूर्ति रवि मलिमठ ने कहा है कि पारिस्थितिकीय उत्तरदायित्व पर्यावरण की सुरक्षा और समाज का सतत विकास कई हितधारकों का सामूहिक और समन्वयवादी प्रयास है। उन्होंने कहा कि पारिस्थितिकीय प्राकृतिक पर्यावरण और जैव विविधता से सीधा जुड़ा है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण प्रदूषण के मामलों में न्यायालयों को अनुकरणीय सजा देनी चाहिए।
वह सोमवार को राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से पारिस्थतिकीय उत्तरदायित्व विषय पर आयेाजित वेबिनार में बोल रहे थे। जस्टिस मलिमठ ने कहा कि पारिस्थितिकीय उत्तरदायित्व व्यक्ति तक ही सीमित नहीं है। उन्होंने सुझाव दिया कि घने जंगल समय की आवश्यकता है, मगर यहां लगने वाली आग से खत्म कर रही है, जिसे तुरंत समाप्त किया जाना चाहिए।
न्यायमूर्ति सुधाशु धूलिया ने सुझाव दिया कि पर्यावरण को स्वच्छ रखने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है। सकल पर्यावरण उत्पाद एक महत्वपूर्ण विचार है, जिसे गंभीरता से देखा जाना आवश्यक है। न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह ने पर्यावरण से संबंधित कानूनी प्रावधानों की जानकारी देते हुए कहा कि पारिस्थितिकीय उत्तरदायित्व वर्तमान समय में अतिमहत्वपर्ण है।
हिमालयन पर्यावरण अध्ययन और संरक्षण संगठन हेस्को के संस्थापक डा. अनिल पी. जोशी ने कहा कि पर्यावरण असंतुलन के कारण अधिकतर मृदा का क्षरण हो रहा है। यदि भूमि पर पर्याप्त मात्रा में जल होगा तो प्रदूषण कम होगा। सीएसआइआर आइआइपी के निदेशक डा. अंजन रे ने सकल पर्यावरण उत्पाद पर अपने ज्ञान, अनुभव और विशेषज्ञता साझा की। उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के निदेशक डा. दुर्गेश पंत ने कहा कि पर्यावरण संबंधी विषयों को स्कूली शिक्षा में शामिल किया जाना आवश्यक है। संचालन राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव डा. जीके शर्मा ने किया।