कोर्ट ने अधिवक्ता को पांच हजार के मुचलके पर रिहा करने के दिए आदेश
हार्इकोर्ट ने कोर्ट को गुमराह करने के मामले में अधिवक्ता को पांच हजार के निजी मुचलके पर रिहा करने के आदेश पारित किए हैं।
नैनीताल, [जेएनएन]: हाई कोर्ट ने अदालत को गुमराह करने के जुर्म में जेल भेजे गए अधिवकता को राहत देते हुए पांच हजार के निजी मुचलके पर रिहा करने के आदेश दिए हैं। अदालत ने आरोपी अधिवक्ता की सजा को एक साल के लिए निलंबित रखते हुए उससे जांच अधिकारी को जांच में सहयोग करने को कहा है।
दरअसल, हल्द्वानी हिम्मतपुर निवासी एक लड़की का जयपुर राजस्थान निवासी एक युवक सोमपाल के साथ प्रेम प्रसंग चल रहा था, जिसका लड़की की मां ने विरोध किया। जिसके बाद युवक का अधिवक्ता सुरेंद्र मील निवासी जयपुर सोमवार को हल्द्वानी से लड़की को लेकर हाई कोर्ट पहुंचा। इस दौरान लड़की ने हार्इकोर्ट से कहा कि उसे अपनी मां से जानमाल का खतरा है, इसलिए उसे सुरक्षा मुहैया कराई जाए।
वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की खंडपीठ के समक्ष मामले में सुनवाई हुई। कोर्ट के सवालों के जवाब में विरोधाभास होने पर अदालत को शक हुआ। जिस पर खंडपीठ द्वारा एसएसपी नैनीताल को लड़की की मां को कोर्ट में पेश करने को कहा गया। पुलिस लड़की की मां को लेकर नैनीताल पहुंची और हाई कोर्ट में पेश किया। लड़की की मां ने बताया कि वह आंगनबाड़ी कार्यकर्ता है और उसके पति का देहांत हो गया है। पति के देहांत के बाद बेटी को अच्छे स्कूल में पढ़ाया मगर उसका जयपुर में एनजीओ संचालक सोमपाल से प्रेम प्रसंग चलने लगा। इतना ही नहीं सोमपाल पहले से ही शादीशुदा है और उसकी चार साल की बेटी भी है।
उधर लड़की के अधिवक्ता ने अपनी याचिका में कहा कि उसकी मां उसकी शादी कहीं अन्य जगह करना चाह रही है। खंडपीठ ने लड़की और अधिवक्ता के विरोधाभासी बयानों को गंभीरता से लेते हुए लड़की को नारी निकेतन और अधिवक्ता के साथ चालक को जेल भेजने के आदेश पारित किए।
वहीं बुधवार को जेल में बंद अधिवक्ता सुरेंद्र की ओर से एक प्रार्थना पत्र हाई कोर्ट को भेजा गया था। जिसमें आरोपी ने अपने भविष्य का हवाला देते हुए सजा माफ करने की अपील की। इसपर न्यायाधीश न्यायामूर्ति राजीव शर्मा व न्यायधीश न्यायमूर्ति लोकपाल की खण्डपीठ ने एक साल के लिए सजा को निलंबित कर दिया है।
यह भी पढ़ें: उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों के आरक्षण मामले में पुनर्विचार याचिका
यह भी पढ़ें: हाई कोर्ट ने निकायों में गांवों को मिलाने के नोटिफिकेशन को किया निरस्त
यह भी पढ़ें: हाई कोर्ट ने पूछा, निकायों के सीमा विस्तार से पहले सुनवाई का मौका क्यों नहीं दिया