उत्तराखंड में दर्ज हो रही है देश की सबसे बड़ी एफआइआर, जानिए क्या है मामला
देवभूमि उत्तराखंड में पहली बार देश की सबसे बड़ी एफआइआर दर्ज होने वाली है। अभी तक पांच दिन में 43 पेज ही लिखत-पढ़त में शामिल हो पाए हैं। जबकि अभी 11 पेज और लिखा जाना बाकी है।
काशीपुर, जेएनएन : देवभूमि उत्तराखंड में पहली बार देश की सबसे बड़ी एफआइआर दर्ज होने वाली है। अभी तक पांच दिन में 43 पेज ही लिखत-पढ़त में शामिल हो पाए हैं। जबकि अभी 11 पेज और लिखा जाना बाकी है। ऐसे में आयुष्मान की फांस से पुलिस की सांसें अटक रही हैं। इन पेजों के लेखाजोखा में पुलिस के पसीने छूट रहे हैं। इसके पीछे का कारण स्वास्थ्य विभाग है। जिसने आयुष्मान योजना में हुए घोटाले की जांच रिपोर्ट ही पुलिस को एफआइआर के रूप में दे दी है। वहीं एसएसपी ऊधमसिंहनगर बरिंदरजीत सिंह का इस बारे में कहना है कि देश की सबसे बड़ी एफआइआर है, ऐसा कहना संभव नहीं है। इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है। एफआइआर लंबी है। इसलिए समय लग रहा है। विवेचक को विवेचना करने में ज्यादा दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा। तथ्यों के आधार पर विवेचना की जाएगी।
इतनी बड़ी एफआइआर लिखे जाने के पीछे क्या है मामला
स्वास्थ्य विभाग की टीम ने अटल आयुष्मान योजना के तहत एमपी मेमोरियल अस्पताल और देवकी नंदन अस्पताल में भारी अनियमितताएं पकड़ी थीं। जांच में सामने आया कि अस्पताल के संचालक नियमों के खिलाफ मरीजों के फर्जी इलाज के बिलों का क्लेम वसूल रहे हैं। एमपी अस्पताल में मरीजों के डिस्चार्ज होने के बाद भी उनको कई-कई दिनों तक अस्पताल में भर्ती दिखाया गया। इसके अलावा आइसीयू में भी क्षमता से ज्यादा रोगियों का इलाज होना बताया गया। मामले की पूरी जांच के बाद स्वास्थ्य विभाग ने पूरी जांच रिपोर्ट ही पुलिस को एफआइआर दर्ज करने के लिए दे दी। स्वास्थ्य विभाग की जांच ही पुलिस के गले की फांस बनी हुई है। यदि स्वास्थ्य विभाग की तरफ से जांच का निष्कर्ष निकालकर दिया गया होता तो पुलिस को इतनी दिक्कतें नहीं झेलनी पड़तीं। हालांकि बांसफोड़ान पुलिस चौकी में देवकी नंदन अस्पताल संचालक पुनीत बंसल के खिलाफ 22 पेज की एफआइआर लिखी जा चुकी है। जबकि अभी एमपी मेमोरियल अस्पताल के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने का सिलसिला जारी है।
हिंदी-अंग्रेजी और गणित भाषा से आ रही दिक्कतें
एफआइआर को लिखने में मुंशी के सामने सबसे बड़ी दिक्कत भाषाएं बनी हुई हैं। स्वास्थ्य विभाग के द्वारा एफआइआर लिखने को दी गई जांच रिपोर्ट ङ्क्षहदी-अंग्रेजी और गणित की भाषा में है। जिससे एक पेज लिखने में घंटों का समय लग रहा है। हालांकि मैनुअली लिखे जाने के साथ ही एफआइआर को साथ ही साथ पुलिस के सॉफ्टवेयर सीसीटीएनएस दर्ज किया जा रहा है।
आठ दिन की एफआइआर बनेगी विवेचक के भी गले की हड्डी
पुलिस का यह सिरदर्द एफआइआर लिखने तक ही सीमित नहीं है। कहते हैं न कि एक परेशानी खत्म नहीं होती। दूसरी दरवाजा खटखटाने के लिए तैयार रहती है। अब इतनी बड़ी एफआइआर है तो इसकी विवेचना भी कम टाइम लेने वाली थोड़े है। कम से कम एक पर्चा कटने में 15 दिन लग सकते हैं। विवेचना करने का समय तीन महीने होता है। ऐसे में विवेचक को भी विवेचना करने के लिए अधिक समय लग सकता है।
अभी तक की एफआइआर लिखे जाने में खर्च हो चुके हैं आठ रिफिल
कटोराताल पुलिस चौकी में एमपी मेमोरियल अस्पताल के खिलाफ लिखी जा रही एफआइआर में अभी तक आठ रिफिल लग चुके हैं। जबकि अभी तीन-चार रिफिल और खर्च हो सकते हैं। इतना ही नहीं एफआइआर को लिखने में मुंशी को प्रतिदिन 14 घंटे का समय देना पड़ रहा है। जिसके बाद अन्य काम किए जा रहे हैं।
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