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पहाड़ के बिच्छू घास में खोजे गए कोरोना वायरस से लड़ने वाले यौगिक

सोबन सिंह जीना विवि अल्मोड़ा के जंतु विज्ञान विभाग एवं राष्र्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान रायपुर के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के संयुक्त तत्वाधान में किए गए शोध में बिच्छू घास में 23 ऐसे यौगिकों के खोज की गई है जो कोरोना वायरस से लड़ने में काफी कारगर हो सकते हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Wed, 02 Dec 2020 06:05 AM (IST)Updated: Wed, 02 Dec 2020 07:24 AM (IST)
पहाड़ के बिच्छू घास में खोजे गए कोरोना वायरस से लड़ने वाले यौगिक
पहाड़ के बिच्छू घास में खोजे गए कोरोना वायरस से लड़ने वाले यौगिक

अल्मोड़ा, जेएनएन : सोबन सिंह जीना विवि अल्मोड़ा के जंतु विज्ञान विभाग एवं राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान रायपुर के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के संयुक्त तत्वाधान में किए गए शोध में बिच्छू घास में 23 ऐसे यौगिकों के खोज की गई है जो कोरोना वायरस से लड़ने में काफी कारगर हो सकते हैं। जंतु विज्ञान विभाग के सहायक प्राध्यापक एवं शोध प्रमुख डा. मुकेश सामन्त ने बताया कि इस शोध में उनके साथ राष्र्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान रायपुर के डा अवनीश कुमार एवं सोबन सिंह जीना परिसर अल्मोड़ा के शोधार्थी शोभा उप्रेती, सतीश चंद्र पांडेय और ज्योति शंकर ने कार्य किया।

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डा.सामन्त ने बताया कि यह शोध कार्य स्विट्ज़रलैंड से प्रकाशित वैज्ञानिक शोध पत्रिका स्प्रिंगर नेचर के मॉलिक्यूलर डाइवर्सिटी में प्रकाशित किया है। उन्होंने बताया कि इस शोध में उनके द्वारा बिच्छू घास में पाए आने वाले 110 यौगिकों को मॉलिक्यूलर डॉकिंग विधि द्वारा स्क्रीनिंग की गई जिसमें से 23 यौगिक ऐसे पाए गए जो हमारे फेफड़ों में पाए जाने वाले एसीइ -2 रिसेप्टर से आबद्ध हो सकते हैं और कोरोना वायरस के संक्रमण को रोक सकने में काफी कारगर सिद्ध हो सकते हैं। वर्तमान में इन यौगिकों को बिच्छू घास से निकालने का काम चल रहा है उसके बाद इन यौगिकों को लेकर क्लीनिकल ट्रायल भी किया जा सकता है।

प्राध्यापकाें व शोधार्थियों की इस उपलब्धि पर सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय अल्मोड़ा के कुलपति प्रो. नरेंद्र सिंह भंडारी एवं योग एवं नेचुरोपैथी के विभागाध्यक्ष डा. नवीन भट्ट ने प्रसन्नता वयक्त करते हुए कहा कि यह कोरोनाकाल मे बहुत बड़ी उपलब्धि है।प्राकृतिक रूप से उत्तराखंड में अनेक यौगिक हैं जो कोरोना से लड़ने में सक्षम है और उम्मीद जताई की उत्तराखंड में पाए जाने वाले औषधीय पौधे और उनसे प्राप्त यौगिक कोरोना और अन्य संक्रमणों को रोकने में कारगर सिद्ध होंगे।

क्या होता है बिच्छू घास

बिच्छू घास एक प्रकार का जंगली पौधा है, इसे छूने से करंट जैसा अनुभव होता है। यह पौधा उत्तराखंड के हिमालयी इलाको में पाया जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम Urtica dioica हैं। इस पौधे को कुमाऊ मंडल में सियूँण के नाम से जाना जाता है वही गढ़वाल में इस कंडली कहते है। इस पौधे से बिच्छू के डंक जैसा अनुभव होने के कारण ही इसे इसे बिच्छू घास के नाम से भी जाना जाता है! इस पौधे के पत्तो एव तनो पर हलके कांटे भी होते है सुई की तरह। जहाँ लोग इस पौधे को छूने से डरते हैं तो इस पौधे के कई मेडिसिनल फायदे भी है।


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