ग्रामीण क्षेत्रों में तीन सप्ताह से नहीं पहुंची गैस, लकड़ियों पर खाना बनाने को मजबूर ग्रामीण
जिला मुख्यालय में पिछले एक माह से औसतन गैस के दो ही वाहन पहुंच रहे हैं जबकि मुख्यालय में ही हर रोज चार ट्रक गैस की जरूरत पड़ती है। ग्रामीण क्षेत्रों में गैस नहीं पहुंच पाने से ग्रामीणों के समक्ष संकट गहरा गया है।
जागरण संवाददाता, पिथौरागढ़ : सीमांत जिले में कुकिंग गैस का संकट गहराता जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में तीन सप्ताह से गैस का वितरण नहीं हुआ है, जिससे लोग लकडिय़ों पर खाना बनाने को मजबूर हो गए हैं। जनमंच ने मुख्यमंत्री को उनके गृहक्षेत्र का हवाला देते हुए शीघ्र गैस संकट दूर किए जाने की मांग की है।
नेपाल सीमा से लगे सल्ला क्षेत्र में पिछले डेढ़ माह से गैस नहीं पहुंची हैं। जिला मुख्यालय से सटे ग्रामीण इलाकों के लोग पिछले एक माह से गैस वाहन का इंतजार कर रहे हैं। जिला मुख्यालय में पिछले एक माह से औसतन गैस के दो ही वाहन पहुंच रहे हैं, जबकि मुख्यालय में ही हर रोज चार ट्रक गैस की जरूरत पड़ती है। ग्रामीण क्षेत्रों में गैस नहीं पहुंच पाने से ग्रामीणों के समक्ष संकट गहरा गया है। ग्रामीणों को भोजन के लिए लकडिय़ां जलानी पड़ रही हैं। लकडिय़ां भी आसानी से उपलब्ध नहीं होने से ग्रामीण परेशान हैं। गैस संकट को लेकर जनमंच संयोजक भगवान रावत की अध्यक्षता में बैठक का आयोजन हुआ, जिसमें कार्यकर्ताओं ने कहा कि मुख्यमंत्री का गृहक्षेत्र होने के बावजूद लोग गैस का संकट झेल रहे हैं। मंच की ओर से मुख्यमंत्री को भेजे गए ज्ञापन में उनके गृह क्षेत्र पिथौरागढ़ में गैस की किल्लत अविलंब दूर किए जाने की मांग की गई है। ज्ञापन भेजने वालों में सुबोध बिष्ट, मदनमोहन जोशी, धर्मेंद्र जोशी, विपिन पांडे, मनोज ठकुराठी शामिल थे।
इधर, गैस एजेंसी का कहना है कि प्लांट से पर्याप्त गैस नहीं मिलने से संकट बना हुआ है। वाहनों की संख्या बढ़ाए जाने के लिए हर रोज पत्राचार किया जा रहा है।