'हाथ' का साथ अब मन का साथ बाकी
कांग्रेस ने अपने बागियों से भी हाथ मिलाने की कसरत शुरू कर दी है, शनिवार को आयोजन बागियों को सदस्यता दिलाई गई।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : कांग्रेस ने अपने बागियों से भी हाथ मिलाने की कसरत शुरू कर दी है। इसके लिए शनिवार को पार्टी हाईकमान ने भव्य आयोजन भी किया था। कांग्रेस में शामिल होने वाले तीन नेता और उनके तमाम समर्थक भी आयोजन स्थल स्वराज आश्रम में पहुंचे। अच्छी-खासी भीड़ थी। समर्थक भी बीच-बीच में अपने नेता के नाम के नारे लगाने से नहीं चूक रहे थे। कांग्रेस से बाहर होने और फिर से कांग्रेस में घर वापसी को लेकर उत्साह था। आपस में हाथ मिल रहे थे और कांग्रेस हाईकमान 'हाथ' मिलाने यानी पार्टी से जुड़ने का आह्वान भी करते रहे, लेकिन इनके बयानों के बाद चर्चा थी कि वरिष्ठ नेताओं का अभी मन का मिलना बाकी है।
कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव प्रकाश जोशी वैसे भी अपने तीखे बयानों के लिए जाने जाते हैं। एक बार फिर उन्होंने किसी नेता का नाम लिए बगैर ऐसा कह दिया, जिससे कि साफ आभास हो रहा था कि इन नेताओं के ही मन अभी पूरी तरह नहीं मिले हैं। उन्होंने यहां तक कह डाला कि जिन नेताओं को हमें नेतृत्व क्षमता सिखानी चाहिए, वह हमें नैतिक व अनैतिक फैसला करना सिखाते हैं। उन्होंने एक शेर के जरिये उन नेताओं पर व्यंग कसा, जो सत्ता हासिल करने के लिए कुछ भी कर डालते हैं। उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा, ताकत में आने वाले नेता के पीछे लगने वाली मानसिकता से बचना होगा। बड़े नेता हमारे भाग्य विधाता नहीं हैं हालांकि, उन्होंने महेश शर्मा के पौने सात साल तक कांग्रेस में ज्वाइन न होने का कारण अपना स्वाभिमान बताया और कहा, अब अच्छे माहौल में उन्होंने ज्वाइन कर लिया है।
प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने भी नेताओं को जमीन में काम करने की सलाह दी और प्रकाश जोशी के लिए कहा, अब वह कार्यकर्ता नहीं, बल्कि नेता हैं। नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश सीधे तौर पर किसी पर कमेंट करने से बचती रहीं और कहा, राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने सभी पुराने नेताओं को कांग्रेस में ज्वाइन करने के आदेश दिए हैं।
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कांग्रेस को हराने वालों को पहनाई हार
स्वराज आश्रम में तमाम नेता ऐसे भी थे, जिनका कहना था कि जिन्होंने कांग्रेस को हराया है। उन्हें ही आज हार पहनाई जा रही है। महेश शर्मा कालाढूंगी विधानसभा सीट से प्रकाश जोशी के खिलाफ निर्दलीय मैदान में उतरे और लालकुआं सीट से हरेंद्र बोरा ने पार्टी प्रत्याशी रहे हरीश चंद्र दुर्गापाल के खिलाफ निर्दलीय मैदान में ताल ठोंकी थी। दोनों पार्टी नेता हार गए थे।