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कांग्रेस स्‍थापना दिवस पर जानिए हल्‍द्वानी के स्‍वराज आश्रम के बारे में, यहीं से कुमाऊं में स्‍वतंत्रता आंदोलन को मिली थी धार

देश की सबसे पुरानी पार्टी और स्‍वतंत्रता आंदोलन में अहम किरदार निभाने वाली कांग्रेस आज अपना 137वां स्‍थापना दिवस मना रही है। उत्‍तराखंड में कांग्रेस नेता पादाधिकारी और कार्यकर्ता स्‍थापना दिवस की एक-दूसरे को शुभकामनाएं दे रहे हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Tue, 28 Dec 2021 11:02 AM (IST)Updated: Tue, 28 Dec 2021 11:08 AM (IST)
कांग्रेस स्‍थापना दिवस पर जानिए हल्‍द्वानी के स्‍वराज आश्रम के बारे में, यहीं से कुमाऊं में स्‍वतंत्रता आंदोलन को मिली थी धार
स्‍वराज आश्रम से हल्‍द्वानी में स्‍थापित हुई थी कांग्रेस, यहीं से कुमाऊं में स्‍वतंत्रता आंदोलन को मिली थी धार

हल्द्वानी, जागरण संवाददाता : देश की सबसे पुरानी पार्टी और स्‍वतंत्रता आंदोलन में अहम किरदार निभाने वाली कांग्रेस आज अपना 137वां स्‍थापना दिवस मना रही है। उत्‍तराखंड में कांग्रेस नेता, पादाधिकारी और कार्यकर्ता स्‍थापना दिवस की एक-दूसरे को शुभकामनाएं दे रहे हैं। इंटरनेट मीडिया पर शुभकामना पोस्‍ट जमकर वायरल हो रहे हैं। इस मौके पर चलिए हम आपको बताते हैं कि स्‍वतंत्रता आंदोलन के दौरान कैसे हल्‍द्वानी के स्‍वराज आश्रम से कुमाऊं भर में स्‍वतंत्रता आंदोलन को धार मिली। कांग्रेस तब इसी स्‍वराज आश्रम से हल्‍द्वानी में स्‍थापित हुई थी। गोविंद बल्लभ पंत, बाबूराम कप्तान और रामशरण सारस्वत ने यहां कांग्रेस की अलख जगाई। कभी स्वराजराज आश्रम में रामचंद्र पहलवान का अखाड़ा भी हुआ करता था। गांधी जयंती पर इसी आश्रम में चरखा दंगल का आयोजन भी हुआ करता था।

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ब्रिटिश हुकूमत करती थी स्वराज आश्रम की निगरानी

वर्तमान में कांग्रेस भवन में तब्दील हो चुका हल्‍द्वानी स्वराज आश्रम आजादी के आंदोलन के दौरान स्वतंत्रता सेनानियों की बैठकों का केंद्र हुआ करता था। तब यहां अंग्रेजों के खिलाफ रणनीति बनाकर क्रांति की अलख जगाई जाती थी। साथ ही जेल भरने को जत्थे भी निकलते थे। वहीं, ब्रिटिश हुकूमत की खिलाफत करने वालों का गढ़़ होने की वजह से पुलिस व गुप्तचर विभाग हमेशा स्वराज आश्रम की निगरानी करता था।

कई सेनानियों ने आश्रम से दी थी गिरफ्तारी

स्वराज आश्रम के प्रवेश द्वार पर बने कोठरियों में बाबा बिशन गिरी, दलीप सिंह, शिवनारायण सिंह और बाबूराम कप्तान जैसे बड़े स्वतंत्रता सेनानी सालों तक रहे भी। वहीं, अंग्रेजों की नाक में दम करने वाले जोगा सिंह, नंदन सिंह, गोविंद राम शर्मा, शंकर लाल हलवाई, शंकर लाल अग्रवाल आदि को पुलिस ने कई बार स्वराज आश्रम से ही गिरफ्तार किया गया। उसके बावजूद हौसलों और संघर्ष में कभी कमी नहीं आई।

शराब के खिलाफ महिलाओं ने दी थी आंदोलन को धार

खास बात यह है कि स्वराज आश्रम महिलाओं में राजनैतिक व सामाजिक चेतना भरने का केंद्र भी बना। ललित महिला इंटर कॉलेज की नींव यही से पड़ी। इसके अलावा शराब व जंगल में ठेकेदारी प्रथा के खिलाफ महिलाएं भी यहां से आंदोलन की रणनीति बनाती थी। आजादी के बाद खस्ताहाल स्थिति में पहुंच चुके स्वराज आश्रम का जीर्णोद्वार स्‍व. डॉ. इंदिरा हृदयेश ने मंत्री रहते हुए कराया था।

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#Congressपार्टीजिंदाबाद कांग्रेस भवन देहरादून में किच्छा उधमसिंहनगर के #भाजपा नेता/सदस्य केंद्रीय सलाहकार समिति श्रम एवं रोजगार मंत्रालय श्री #सुरेशगंगवार जी, जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती #रेनु_गंगवार जी व श्री #ईश्वरी प्रसाद गंगवार जी ने 24 जिला पंचायत सदस्यों एवं अपने सैकड़ों साथियों के साथ कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की, आप सबका कांग्रेस पार्टी में हृदय की गहराई से बहुत-बहुत स्वागत है।

View attached media content - Harish Rawat (@harishrawatcmuk) 28 Dec 2021

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ਕਾਂਗਰਸ ਇੱਕ ਵਿਚਾਰਧਾਰਾ ਹੈ ! ਜਿਸ ਨੇ ਦੇਸ਼ ਦੀ ਅਜ਼ਾਦੀ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ ਹੁਣ ਤੱਕ ਦੇਸ਼ ਦੀ ਅਣਖ ਅਤੇ ਸ਼ਾਨ ਲਈ ਕੁਰਬਾਨੀਆਂ ਦਿੱਤੀਆਂ ਹਨ ਅਤੇ ਸਾਨੂੰ ਹਮੇਸ਼ਾ ਹੱਕ-ਸੱਚ ਦੀ ਲੜਾਈ ਲੜਨ ਲਈ ਪ੍ਰੇਰਿਤ ਕਰਦੀ ਰਹੀ ਹੈ। ਭਾਰਤੀ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਕਾਂਗਰਸ ਦੇ 137ਵੇਂ ਸਥਾਪਨਾ ਦਿਵਸ ’ਤੇ ਸਾਰੇ ਦੇਸ਼ਵਾਸੀਆਂ ਨੂੰ ਲੱਖ ਲੱਖ ਵਧਾਈਆਂ। #CongressFoundationDay #punjab #punjabcongress #congressparty #lakhapayal

View attached media content - MLA Lakhvir Singh Lakha Payal (@MLALakhvirsingh) 28 Dec 2021

स्‍वराज आश्रम से जुड़े हैं बड़े नाम

अब्दुल मजीद, मथुरा दत्त पहलवान, पीतांबर सनवाल, धन सिंह नेगी, बालकृष्ण आजाद, हीरा बल्लभ बेलवाल, मदन मोहन उपाध्याय, श्रीराम शर्मा, खुशी राम, भागीरथी देवी, रेवती देवी समेत कई बड़े नाम स्वराज आश्रम से जुड़े थे। वहीं, कांग्रेस महानगर अध्यक्ष राहुल छिमवाल ने बताया कि स्वराज आश्रम आजादी की लड़ाई और संघर्ष का जीता-जागता उदाहरण है। आश्रम को ठिकाना बनाने वाले क्रांतिकारी तमाम जुल्म सहने के बावजूद कभी झुके नहीं।


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