Uttarakhand Chunav 2022 : जब प्रत्याशी ही नहीं बनाया तो कहां से लड़ेगी लड़की, कुमाऊं की 25 में से एकमात्र महिला प्रत्याशी
Uttarakhand Chunav 2022 हाथी के दांत वाला हाल है। खाने के और दिखाने के और। जब सीट ही नहीं मिलेगी तो आखिर लड़की लड़ेगी कहां। रुद्रपुर से पूर्व पालिकाध्यक्ष मीना शर्मा एकमात्र प्रत्याशी हैं जिन्हें टिकट मिला है। भाजपा ने 24 सीटों में से तीन को प्रतिनिधित्व दिया है।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : चुनाव के अंदाज अजब निराले होते हैं। जरूरी नहीं जो नारे लगाएं जाएं वह हकीकत में भी सच हों। इस बार पांच राज्यों के चुनाव में कांग्रेस का सबसे चर्चित नारा लड़की हूं लड़ सकती हूं रहा है। योगी सरकार को विभिन्न महिला अपराधों के मामले में घेरा भी खूब। पर चुनाव नजदीक आते ही कांग्रेस के नारे की हवा निकल गई। पहले उप्र में पोस्टर गर्ल के पीछे हटने व भाजपा में शामिल होने से फजीहत हुई। वहीं उत्तराखंड में जारी पहली लिस्ट की 25 सीटों में से मात्र एक सीट ही महिला को मिल पाई। हाथी के दांत वाला हाल है। खाने के और दिखाने के और। जब सीट ही नहीं मिलेगी तो आखिर लड़की लड़ेगी कहां।
रुद्रपुर से पूर्व पालिकाध्यक्ष मीना शर्मा एकमात्र प्रत्याशी हैं जिन्हें टिकट मिला है। जबकि भाजपा ने 24 सीटों में से तीन महिलाओं को प्रतिनिधित्व दिया है। कांग्रेस ने पहली लिस्ट में प्रदेश की कुल 53 सीटों में से केवल तीन महिलाओं को प्रत्याशी बनाया है। ऐसे में जब टिकट ही नहीं दिया तो बेटियां लड़ेंगी कैसे और विधानसभा में प्रतिनिधित्व कैसे कर पाएंगी।
प्रदेश में जहां वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में पुरुषों से अधिक महिलाओं ने मतदान किया हो। राज्य गठन से लेकर चिपको समेत तमाम आंदोलनों में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही हो। वहां कांग्रेस ने सदन में महिलाओं को भेजने के लिए टिकट देने में भी कंजूसी कर दी है। यह स्थिति तब है जब पूर्व सीएम हरीश रावत कई बार प्रत्याशी चयन में महिलाओं को सम्मान देने की बात कर चुके थे। प्रदेश की कुल 53 सीटों में से केवल तीन महिलाएं शामिल हैं।
आधी आबादी के सहारे सजा जीत का सेहरा
2017 के चुनाव में 64.72 प्रतिशत मतदान हुआ था। इसमें से 61.11 प्रतिशत पुरुष और 68.72 प्रतिशत महिलाओं ने मतदान किया था। इस बार भी कुमाऊं के सीमांत क्षेत्र धारचूला, डीडीहाट, पिथौरागढ़ विधानसभा क्षेत्र में महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों से ज्यादा है। इससे यह भी साफ है कि प्रदेश में जिस सीट पर महिला मतदाताओं पर ही प्रत्याशी की जीत-हार निर्भर है, वहां भी टिकट में महिलाएं पीछे कर दी गईं।