जानिए कालाढूंगी से कौन है कांग्रेस से प्रत्याशी, पाल राजवंश व उत्तराखंड बार काउंसिल से है गहरा नाता
Uttarakhand Vidhan Sabha Chunav 2022 कुमाऊं की वीआइपी सीटों में शुमार कालाढूंगी सीट का मुकाबला भी दिलचस्प होने वाला है। यह सीट जब से बनी है भाजपा के कब्जे में रही है। भाजपा के दिग्गज व शहरी विकास मंत्री बंशीधर भगत लड़ रहे हैं।
जागरण संवाददाता, नैनीताल : उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस ने बहुप्रतीक्षित दूसरी सूची सोमवार रात जारी हो गई। यह सूची इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें प्रदेश के सबसे बड़े नेता पूर्व सीएम हरदा सहित कई दिग्गजों की सीट पर मुहर लगी। रामनगर से कांग्रेस के सबसे बड़े नाम पूर्व सीएम हरीश रावत के अलावा कुमाऊं की दूसरी दिलचस्प सीट कालाढूंगी है। यहां से कांग्रेस ने महेंद्र पाल के नाम पर मुहर लगाई है। पाल का मुकाबला भाजपा के दिग्गज व वरिष्ठ नेता बंशीधर भगत से होना है।
पाल नैनीताल के पूर्व सांसद रहे हैं। कांग्रेस कालाढूंगी सीट से इन पर दांव खेल सकती है। पिथौरागढ़ जिले के अस्कोट पाल राजवंश से ताल्लुक रखने वाले डॉ पाल कुमाऊं विवि छात्र संघ के अध्यक्ष, कुमाऊं विवि कार्यपरिषद के सदस्य, नैनीताल हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष, उत्तराखंड बार काउंसिल के अध्यक्ष रहे व वर्तमान में बार काउंसिल के सदस्य तथा कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष हैं। पाल को नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह का करीबी माना जाता है। प्रीतम की सिफारिश पर ही पार्टी ने निर्विवाद छवि के पाल पर दांव खेला है। पाल ने जनता दल से नैनीताल सीट से चुनाव लड़ा। राज्य में पहली निर्वाचित कांग्रेस सरकार में तत्कालीन सांसद एनडी तिवारी को मुख्यमंत्री बनाया गया तो तिवारी के सांसद पद से इस्तीफे के बाद उप चुनाव में भाजपा प्रत्याशी को एक लाख 4 हजार मतों से हराया। पाल लंबे समय से कांग्रेस पार्टी के उपाध्यक्ष रहे हैं।
1949 में जन्मे डॉ पाल ने इस बार भीमताल सीट से दावेदारी की थी। इधर, कांग्रेस के स्क्रीनिंग कमेटी के चेयरमैन अविनाश पांडे की ओर से पाल से सम्पर्क साधा गया तो पाल ने जिले की किसी भी सीट से चुनाव लड़ने की हामी भर दी। नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने भी पाल को उतारने की सिफारिश की। कुमाऊं की वीआइपी सीटों में शुमार कालाढूंगी सीट का मुकाबला भी दिलचस्प होने वाला है। यह सीट जब से बनी है भाजपा के कब्जे में रही है। भाजपा के दिग्गज व शहरी विकास मंत्री बंशीधर भगत लड़ रहे हैं। अब देखना दिलचस्प होगा कि महेंद्र पाल और भगत में कौन किस पर भारी पड़ता है।