जिपं अध्यक्ष उत्तरकाशी जसोदा राणा की कुर्सी पर ऊहापोह, जानिए क्या है मामला
हाई कोर्ट ने जिपं अध्यक्ष जसोदा के ग्रामीण क्षेत्र की मतदाता सूची में उनके नाम को फिर से जोडऩे व देहरादून की सूची से हटाने संबंधी प्रत्यावेदन पर निर्णय लेने के निर्देश दिए हैं।
नैनीताल, जेएनएन : उत्तरकाशी के जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर ऊहापोह की स्थिति बन गई है। हाई कोर्ट ने जिपं अध्यक्ष जसोदा राणा के ग्रामीण क्षेत्र की मतदाता सूची में उनके नाम को फिर से जोडऩे तथा देहरादून की सूची से हटाने संबंधी प्रत्यावेदन पर दो माह में निर्णय लेने के निर्देश निदेशक पंचायती राज को दिए हैं। साथ ही जिलाधिकारी की ओर से शासन को जिला पंचायत अध्यक्ष पद रिक्त घोषित करने के मामले में भी निर्णय लेने को कहा है।
जसोदा राणा 2014 में उत्तरकाशी की जिला पंचायत अध्यक्ष चुनी गई थीं। इससे पहले वह उत्तरकाशी के बड़कोट की पालिकाध्यक्ष थीं। पिछले साल निकाय चुनाव की घोषणा के बाद भाजपा ने बड़कोट पालिकाध्यक्ष पद के लिए उन्हें प्रत्याशी बना दिया। पिछले साथ 15 अक्टूबर को निकाय चुनाव की अधिसूचना से पहले जसोदा ने कनसेरू की मतदाता सूची से नाम हटाने तथा बड़कोट में नाम जोडऩे का प्रत्यावेदन दिया था। इसी बीच राज्य निर्वाचन आयुक्त को शिकायत भेजी गई, जिसमें कहा गया कि जसोदा का नाम देहरादून की मतदाता सूची में भी है। इधर आयोग ने पनसेरु की मतदाता सूची से नाम हटा दिया। इस विवाद के बाद जसोदा निकाय चुनाव लडऩे से वंचित हो गईं। पंचायती राज एक्ट-2016 की धारा-90 के तहत पंचायत प्रतिनिधि बनने के लिए संबंधित क्षेत्र की मतदाता सूची में नाम होना जरूरी है, इस आधार पर डीएम उत्तरकाशी ने जिला पंचायत अध्यक्ष का पद रिक्त मानते हुए निदेशक पंचायती राज को संस्तुति भेज दी। डीएम के इस आदेश को जसोदा राणा ने याचिका दायर कर चुनौती दी। कहा गया कि बड़कोट निकाय में नाम नहीं जोडऩे के बाद निकाय चुनाव नामांकन की अंतिम तारीख यानी 22 अक्टूबर के अगले दिन जसोदा ने आयोग को प्रत्यावेदन दिया था और कहा था कि उनका नाम बड़कोट निकाय की मतदाता सूची में नहीं जुड़ा, इसलिए अब फिर से कनसेरू गांव में ही रहने दिया जाए। न्यायाधीश न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की एकलपीठ ने मामले को सुनने के बाद निदेशक पंचायती राज को पद रिक्त घोषित करने संबंधी तथा कनसेरू की मतदाता सूची में ही जसोदा का नाम रखने से संबंधित प्रत्यावेदन पर दो माह में निर्णय लेने के आदेश दिए हैं। यहां बता दें कि मौजूदा त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल जून में खत्म हो रहा है।
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