उत्तराखंड के डिग्री कॉलेजों में टाटपट्टी पर बैठने को मजबूर छात्र
उत्तराखंड के 100 राजकीय डिग्री कॉलेजों में से तमाम ऐसे हैं, जहां बैठने के लिए फर्नीचर की व्यवस्था नहीं है। जिससे छात्रों को कर्इ परेशानियों से दो चार होना पड़ रहा है।
हल्द्वानी, [गणेश जोशी]: प्रदेश के 100 राजकीय डिग्री कॉलेजों में से तमाम ऐसे हैं, जहां बैठने के लिए कुर्सी-मेज तक नहीं है। 13340 कुर्सी-मेजों की कमी की फाइल एक साल से शासन में घूम रही है, लेकिन जंग लग चुकी व्यवस्था के आगे कवायद आगे नहीं बढ़ पा रही है। आज भी 17 कॉलेजों के विद्यार्थियों को खुले में शौच जाना पड़ रहा है।
डिग्री कॉलेजों में साधनों की इतनी बड़ी कमी के बावजूद उच्च शिक्षा विभाग की कवायद परवान नहीं चढ़ पा रही है। जबकि एक साल से उच्च शिक्षा राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार डॉ. धन सिंह रावत ने कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसबिलिटी (सीएसआर) फंड के जरिये मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने का दावा किया था। लेकिन, सब हवा-हवाई ही हो रहा है। प्रदेश में भाजपा सरकार को एक साल हो गया, मगर सीएसआर के तहत राज्य के एक डिग्री कॉलेज में एक कुर्सी-मेज तक नहीं भिजवाई जा सकी है।
यह है हकीकत
100 राजकीय डिग्री कॉलेज
01 लाख विद्यार्थियों की संख्या
13340 कुर्सी-मेज तक उपलब्ध नहीं
34 कॉलेजों में सांइस लैब नहीं
27 कॉलेजों में पुस्तकालय नहीं
17 डिग्री कॉलेजों में शौचालय नहीं
सीएसआर के लिए कॉलेज भी निष्क्रिय
सीएसआर के नोडल अधिकारी डॉ. डीसी गोस्वामी ने कहा कि एक महीने पहले सभी डिग्री कॉलेजों को निर्धारित प्रारूप भेजा है। इस प्रारूप में कॉलेज के लिए जरूरी संसाधनों को लिखकर भेजा जाना है, लेकिन अभी तक किसी भी कॉलेज का जवाब नहीं पहुंचा। चार कॉलेजों ने भेजा भी था, जो उपयुक्त नहीं था। संसाधनों के लिए फंडिंग ओएनजीसी को करना है।
निदेशक ने सीएसआर की जानकारी होने से किया इन्कार
सीएसआर के तहत कॉलेजों में मिलने वाली सुविधाओं के बारे में उच्च शिक्षा की प्रभारी निदेशक डॉ. सविता मोहन से पूछने पर उनका जवाब था, इस बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है। लेकिन, मंत्री इस मामले में प्रयासरत हैं।
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