ग्राम प्रधानों ने कहा-सामुदायिक भवनों में बिजली न पानी, बजट भी नहीं, प्रवासियों को कैसे रखें
ग्राम प्रधानों ने सामुदायिक भवनों की खस्ताहाली पर चिंता जताई है। कहना है कि दूसरे राज्यों से लाए जा रहे प्रवासियों को सामुदायिक भवन या स्कूलों में क्वारंटाइन किया जाना है।
हल्द्वानी, जेएनएन : ग्राम प्रधानों ने सामुदायिक भवनों की खस्ताहाली पर चिंता जताई है। कहना है कि दूसरे राज्यों से लाए जा रहे प्रवासियों को सामुदायिक भवन या स्कूलों में क्वारंटाइन किया जाना है। लेकिन ये भवन लंबे सयम से जर्जर हालत में हैं। इनमें न पीने का पानी है और न ही बिजली की व्यवस्था। ऐसे में ग्राम प्रधानों पर प्रवासियों की देखभाल करना चुनौती बन जाएगा।
हल्द्वानी ब्लॉक के ग्राम प्रधानों का कहना है कि उन्हें अब तक अपने वित्तीय अधिकार नहीं मिल सके हैं। बावजूद इसके वे लगातार गरीब, जरूरतमंदों तक खुद के खर्चे से खाद्य सामग्री, मास्क, सेनिटाइजर ग्रामीणों को बांट रहे हैं। अब गृह मंत्रालय के आदेशानुसार प्रत्येक ग्राम सभा में मौजूद सामुदायिक भवनों को क्वारंटाइन सेंटर बनाया जाना है। समस्या से है कि कई ग्राम सभाओं में मौजूद सामुदायिक भवन लंबे समय से खस्ताहाल हैं। इनमें बिजली, पानी, शौचालय तक की सुविधा नहीं हैं। यदि इनमें प्रवासियों को ठहराया जाता है तो सारी व्यवस्थाएं खुद ग्राम प्रधान को करनी होंगी। इसके बाद सामुदायिक केंद्रों में ठहरे प्रवासियों के खाने-पीने का बंदोबस्त भी करना होगा। जब प्रधानों के पास वित्तीय जरूरतें पूरी करने का स्रोत है ही नहीं तो आर्थिक बोझ पडऩा लाजिमी है।
न्याय पंचायत में बने क्वारंटाइन सेंटर
बजूनियाहल्दू ग्राम सभा के ग्राम प्रधान मनीष आर्य ने कहा कि ग्राम सभा के बजाय प्रत्येक न्याय पंचायत में क्वारंटाइन सेंटर बनाना चाहिए। जिसमें उस न्याय पंचायत के सभी प्रधान थोड़ा-थोड़ा सहयोग कर लोगों की मदद अच्छी तरह से कर सकेंगे। इससे किसी एक प्रधान पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ नहीं पड़ेगा।
हमारी भी सुनो सरकार
हल्द्वानी विकासखंड के प्रधान संगठन की अध्यक्ष रुक्मणी नेगी, प्रधान जग्गीबंगर दीपा बिष्ट, प्रधान बमेठा बंगर केशव हरेंद्र असगोला, प्रधान रामड़ी आन सिंह रवि जीना ने कहा है कि सरकार को ग्राम प्रधानों की इस समस्या पर गौर करना चाहिए। जिससे कि बाहर से गांव लौटने वाले लोगों को क्वारंटाइन करने में कोई परेशानी न हो। साथ ही प्रधान के परिवार को आर्थिक संकट का सामना न करना पड़े।
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