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उत्तराखंड परिवहन निगम कुमाऊं की 25 फीसद बसों में लगा सकता है सीएनजी किट

उत्तराखंड परिवहन निगम अपनी बसों को सीएनजी से संचालित करने के प्रयास में जुटा है। हाल में मुख्यालय स्तर पर हुई बैठक में दिल्ली रूट की बसों में फोकस करने को कहा गया। कुमाऊं रीजन में रोडवेज के पास वर्तमान में कुल 395 बसों का बेड़ा है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 27 Aug 2021 06:07 AM (IST)Updated: Fri, 27 Aug 2021 06:07 AM (IST)
उत्तराखंड परिवहन निगम कुमाऊं की 25 फीसद बसों में लगा सकता है सीएनजी किट
उत्तराखंड परिवहन निगम कुमाऊं की 25 फीसद बसों में लगा सकता है सीएनजी किट

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : उत्तराखंड परिवहन निगम अपनी बसों को सीएनजी से संचालित करने के प्रयास में जुटा है। हाल में मुख्यालय स्तर पर हुई बैठक में दिल्ली रूट की बसों में फोकस करने को कहा गया। कुमाऊं रीजन में रोडवेज के पास वर्तमान में कुल 395 बसों का बेड़ा है। इसमें नब्बे से अधिक पहाड़ और मैदानी बस स्टेशनों से दिल्ली मार्ग पर चलती है। ऐसे में संभावना है कि 25 प्रतिशत बसों में सीएनजी किट फिट हो सकती है। मुख्यालय के आदेश पर सूची तैयार करने का काम शुरू हो गया है।

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कुमाऊं रीजन में फिलहाल रोडवेज रामनगर डिपो में तीन बसों को सीएनजी से चला रहा है। दिल्ली रूट की इन गाडिय़ों से इनकम का औसत भी बेहतर आ रहा है। पूर्व में कई बार दिल्ली रूट की बसों को सीएनजी से संचालित करने का मामला आ चुका है। अब मुख्यालय इसे लेकर गंभीर नजर आ रहा है।

पर्यावरण और पैसा बचेगा

सीएनजी से बसों को चलाने से प्रदूषण की मात्रा घटेगी। पहाड़ी स्टेट में यह फार्मूला और ज्यादा फायदेमंद होगा। इसके अलावा घाटे से गुजर रहे निगम की आर्थिक स्थिति भी सुधरेगी। अभी रोडवेज की सामान्य श्रेणी की बस को हल्द्वानी टू दिल्ली आने-जाने में करीब 110 लीटर डीजल कही जरूरत पड़ती है। जबकि अनुबंधित वॉल्वो 170 लीटर तक खर्च करती है।

डीजल में खेल नहीं हो सकेगा

अक्सर रोडवेज बसों में डीजल में घपले का मामला सुर्खियों में रहता है। कई बार चेकिंग टीम स्टाफ को रंगे हाथ पकड़ भी चुकी है। 2019 में काठगोदाम डिपो की दिल्ली रूट की बस से तेल चोरी का मामला सामने आया था। बस को हल्द्वानी से दिल्ली के लिए रवाना होना था, मगर रवानगी से पहले डिपो में खड़ी बस से चालक को एक कर्मचारी ने तेल निकालते हुए देख लिया। तब 20 लीटर तेल का गैलन बरामद हुआ था। ऐसे में निगम को भी काफी चपत लगती है। अगर सीएनजी किट फिट होती है तो डीजल में खेल नहीं हो पाएगा।


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