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हेमवती नन्दन बहुगुणा केंद्रीय विवि से कालेजों की सम्बद्धता खत्म करने के मामले में केन्द्र सरकार का आदेश निरस्त

उच्च न्यायालय ने हेमवती नन्दन बहुगुणा केंद्रीय विश्वविद्यालय से सम्बद्ध कालेजों को श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय श्रीनगर से सम्बद्ध किये जाने के केंद्र सरकार के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की। कोर्ट ने केंद्र सरकार के पांच जून 2020 को निरस्त कर दिया।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Tue, 16 Nov 2021 04:45 PM (IST)Updated: Tue, 16 Nov 2021 04:45 PM (IST)
हेमवती नन्दन बहुगुणा केंद्रीय विवि से कालेजों की सम्बद्धता खत्म करने के मामले में केन्द्र सरकार का आदेश निरस्त
हेमवती नन्दन बहुगुणा केंद्रीय विवि से कालेजों की सम्बद्धता खत्म करने के मामले में केन्द्र सरकार का आदेश निरस्त

नैनीताल, जागरण संवाददात : उच्च न्यायालय ने हेमवती नन्दन बहुगुणा केंद्रीय विश्वविद्यालय से सम्बद्ध कालेजों को श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय श्रीनगर से सम्बद्ध किये जाने के केंद्र सरकार के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की। देहरादून के राज्य आंदोलनकारी रविन्द्र जुगरान, अरुण कुमार, महिला महाविद्यालय पीजी,बीएसएम पीजी कालेज रुड़की व दयानंद शिक्षण संस्थान द्वारा अलग-अलग याचिका दायर की थी।

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मुख्य न्यायधीश आरएस चौहान की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मामले को सुनने के बाद केंद्र सरकार के पांच जून 2020 के आदेश को निरस्त कर दिया। साथ ही केंद्र व राज्य सरकार को आदेश दिया है कि दो माह के भीतर यह तय करें कि केंद्रीय विश्वविद्यालय से समबद्ध कालेजों को दी जाने वाली ग्रांट का भुगतान केंद्र सरकार वहन करेगी या राज्य सरकार। कोर्ट ने राज्य सरकार को यह भी आदेश दिए हैं कि जब तक दोनों सरकारें निर्णय नहीं ले लेती तब तक कालेजों को दी जाने वाली ग्रांट राज्य सरकार वहन करेगी।

इन याचिकाओं में कहा गया था कि केंद्र सरकार ने पांच जून 2020 को एक आदेश जारी कर केंद्रीय विश्व विद्यालय एचएनबी को निर्देश दिए थे कि उससे सम्बद्ध कालेजों की सम्ब्द्धता को निरस्त करें। जिसके बाद रजिस्ट्रार द्वारा इन कालेजों की संबद्धता को निरस्त करने हेतु आदेश जारी कर दिए। िजिसके बाद याचिकर्ताओं ने केंद्र व रजिस्ट्रार के आदेश को अलग अलग याचिकाओं में चुनौती दी।

याचिकर्ताओं का कहना था कि केंद्र सरकार को इस तरह के आदेश जारी करने का अधिकार नहीं है । यह अधिकार केंद्रीय विश्वविद्यालय अनुदान आयोग या विश्वविद्यालय को है, वो भी यूजीसी की नियमावली के अनुसार, इसलिए केंद्र सरकार का यह आदेश असंवैधानिक है, इसे निरस्त किया जाय। सम्ब्द्धता वाले कालेज को दी जाने वाली ग्रांट का वहन राज्य सरकार कर रही है ,जबकि इसे केंद्र सरकार द्वारा वहन किया जाना चाहिए।


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