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छात्रवृत्ति घोटाले में छात्रों के दस्तावेज जुटाने वाला दलाल गिरफ्तार nainital news

बहुचर्चित दशमोत्तर छात्रवृत्ति घोटाला मामले में पुलिस ने एक बिचौलिये को गिरफ्तार कर लिया है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Thu, 24 Oct 2019 12:56 PM (IST)Updated: Thu, 24 Oct 2019 12:56 PM (IST)
छात्रवृत्ति घोटाले में छात्रों के दस्तावेज जुटाने वाला दलाल गिरफ्तार nainital news
छात्रवृत्ति घोटाले में छात्रों के दस्तावेज जुटाने वाला दलाल गिरफ्तार nainital news

हल्द्वानी, जेएनएन : बहुचर्चित दशमोत्तर छात्रवृत्ति घोटाला मामले में पुलिस ने एक बिचौलिये को गिरफ्तार कर लिया है। मुरादाबाद का यह बिचौलिया यूनिवर्सिटी को छात्रों के दस्तावेज उपलब्ध कराता था और प्रति छात्र तीन हजार रुपये कमीशन लेता था। बुधवार को न्यायालय के आदेश पर दलाल को जेल भेज दिया गया। पिछले दिनों पुलिस जांच में 28 छात्रों के नाम पर हापुड़ की मोनाड यूनिवर्सिटी के 20.63 लाख रुपये के गबन करने की बात सामने आई थी।

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दशमोत्तर छात्रवृत्ति घोटाला उजागर होने पर हाईकोर्ट ने एसआइटी घटित कर जांच के आदेश दिए थे। इसके बाद नैनीताल जिले में एसपी सिटी अमित श्रीवास्तव के नेतृत्व में 12 दरोगाओं की टीम ने जांच की तो पता चला कि उत्तर प्रदेश के हापुड़ स्थित मोनाड यूनिवर्सिटी को जिला समाज कल्याण अधिकारी नैनीताल के कार्यालय से 28 छात्रों की छात्रवृत्ति कुल 20,63900 रुपये चेक से जारी किए गए थे। किसी भी लाभार्थी ने इस यूनिवर्सिटी में कभी पढ़ाई ही नहीं की और न ही छात्रवृत्ति ली। छात्रों से पूछताछ में पता चला कि बिचौलिये दो लड़कों ने वर्ष 2014 में उन्हें मोनाड यूनिवर्सिटी से डिग्री और छात्रवृत्ति दिलाने का आश्वासन देकर शैक्षिक अभिलेख ले लिए थे। इस मामले में दारोगा दान सिंह मेहता ने भीमताल थाने में मोनाड यूनिवर्सिटी के 2014-15 के उपनिबंधक, उनके बिचौलिये और इंडियन ओवरसीज बैंक हापुड़ शाखा के कर्मचारियों और अफसरों के खिलाफ आपराधिक षडय़ंत्र करते हुए कूटरचित दस्तावेज तैयार करने व सरकारी धन को अवैध रूप से प्राप्त करने का मुकदमा दर्ज कराया था। एसपी सिटी के मुताबिक, बुधवार को मोनाड यूनिवर्सिटी को छात्रों के दस्तावेज उपलब्ध कराने वाले बिचौलिये अंकित अग्रवाल निवासी नवीन नगर, मुरादाबाद को गिरफ्तार कर लिया गया। उसके आधा दर्जन से अधिक छात्रों के दस्तावेज यूनिवर्सिटी को उपलब्ध कराने की पुष्टि हो चुकी है। जांच में पता चला कि अंकित इससे पहले भी किसी दूसरे कॉलेज के लिए फर्जी दस्तावेज उपलब्ध कराने का काम कर चुका है।


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