पिथौरागढ़ के गोरीछाल में फटा बादल, प्रलयंकारी बारिश ने बचाई तबाही, दो महिलाएं मलबे में दबी
पिथौरागढ़ के तहसील बंगापानी में आपद थमने का नाम नहीं ले रही है। बादल फटने से 12 घंटे के अंदर 180 एमएम बारिश ने कई क्षेत्रों में जमकर तबाही मचा दी।
पिथौरागढ़, जेएनएन : पिथौरागढ़ के तहसील बंगापानी में आपद थमने का नाम नहीं ले रही है। बादल फटने से 12 घंटे के अंदर 180 एमएम बारिश ने कई क्षेत्रों में जमकर तबाही मचा दी। गोरी नदी घाटी में गोरी नदी से लेकर छिपलाकेदार, बंगापानी से लेकर बगीचाबगड़, मेतली, जाराजिबली से लेकर छिपलाकेदार पर्वत के दूसरी तरफ काली नदी घाटी के खुम्ती से लेकर गलाती तक तबाही का मंजर देखने को मिला।
बादल फटने से रात भर की बारिश के बाद सुबह सवा पांच बजे से प्रकृति ने अपना तांडव दिखाया। सुबह सवा पांच बजे मेतली गांव में गोशाला से जानवरों को बाहर निकालते समय आए मलबे में दब कर एक महिला की मौत हो गई। इसी दौरान जाराजिबली गांव में भी एक महिला मलबे में दब गई। सामरिक महत्व के जौलजीबी-मदकोट-मुनस्यारी मार्ग में पांच वर्ष पूर्व बीआरओ द्वारा बनाया गया दुगड़ी गाड़ पुल बह गया। मौरी में एक दुकान सहित दो बाइक और दो मैक्स जीप गोरी नदी में बह गए। बगीचाबगड़ में पहाड़ की तरफ से नाला आने से घरों से पानी निकलने लगा।
दूसरी तरफ धारचूला तहसील मुख्यालय से तीन किमी दूर गलाती में छिपलाकेदार से आने वाली गलाती नदी ने रौद्र रू प ले लिया। गलाती में एक चाय का होटल, पंचायत घर बह गए। चार मकान खतरे में आ गए। गलाती नदी का पानी मकानों के पास बहने लगा। गांव में अफरा-तफरी मच गई। बरम में गोसी नदी पुल तक पहुंच गई तो कालिका के पास चौरा गाड़ का पानी पुल के ऊपर बहने लगा। लगभग ढाई किमी की दूरी पर स्थित दुगड़ी गाड़ और चौरा गाड़ के मलबे से गोरी नदी का बहाव थम गया और ताल बन गई। लगभग पांच मिनट के भीतर नदी का प्रवाह सामान्य हो गया। कुछ देर और गोरी नदी का प्रवाह थम जाता तो बरम, जौलजीबी से लेकर टनकपुर तक काली नदी किनारे का भूगोल बदला हुआ होता।
लुम्ती गांव में सुबह सवा पांच बजे के आसपास राधा देवी 45 वर्ष मकान के गोठ से जानवरों को बाहर निकाल रही थी। इसी वक्त भारी मलबा आ गया। राधा देवी और जानवर मलबे में दब गए। राधा देवी की मौत हो गई। जाराजिबली गांव में भी सुबह जानवरों को बाहर निकालते समय एक महिला और 25 जानवर मलबे में दब गए। ग्रामीण महिला को तलाश कर रहे हैं। बरम से आगे मार्ग बंद है। बारिश से पूरे क्षेत्र में सौ के आसपास गांवों का संपर्क भंग हो चुका है। पूरे क्षेत्र में सैकड़ों जानवर मलबे में दब गए हैं। छोरीबगड़ में तहसील के लिए चयनित भूमि भी आपदा की भेंट चढ़ चुकी है।