बॉडी बिल्डर बना वेल्डर, पांच बार के मिस्टर कुमाऊं फुटपाथ पर वेल्डिंग कर पाल रहे परिवार
सिस्टम की उपेक्षा का आलम ये है कि मिस्टर कुमाऊं डिग्री कालेज के सामने ठंडी सड़क पर टेंपो बाइक स्कूटी व साइकिल पर वेल्डिंग कर रहा है। मेहनत मजदूरी कर जो रुपया कमाया उसी से अपनी प्रतिभा को निखारने के लिए प्रतियोगिताओं में जाते रहे।
दीप चंद्र बेलवाल, हल्द्वानी : तन पर फटा कुर्ता व मोबिल से सने काले हाथ और फुटपाथ पर अस्थाई ठीकाना। यह हाल पांच बार के मिस्टर कुमाऊं का है। शासन और फेडरेशन की अनदेखी ने होनहार मिस्टर को अर्श से फर्श पर ला दिया। नौबत यह है कि उसे अपना और परिवार को पेट पालने के खातिर बिल्डर से वेल्डर बनना पड़ गया। आजाद नगर हल्द्वानी निवासी सफीक अहमद समय के साथ गुमनाम हो गया है। कभी बाडी बिल्डिंग के लिए उन्हें हल्द्वानी शहर ही नहीं पूरे कुमाऊं में पहचाना जाता था। 1996 में 18 साल की उम्र में उसने पहली बार बाडी बिल्डिंग में मिस्टर कुमाऊं का खिताब जीता। इसके बाद पांच और मिस्टर कुमाऊं के खिताब अपने नाम किए। उत्तराखंड बोर्ड बिल्डिंग फैडरेशन से खेलने वाले सफीक अहमद 10 से अधिक बार मिस्टर नैनीताल भी चुना गया। सभी प्रतियोगिताओं के प्रमाण पत्र उनके पास हैं।
सिस्टम की उपेक्षा का आलम ये है कि मिस्टर कुमाऊं डिग्री कालेज के सामने ठंडी सड़क पर टेंपो, बाइक, स्कूटी व साइकिल पर वेल्डिंग कर रहा है। मेहनत मजदूरी कर जो रुपया कमाया उसी से अपनी प्रतिभा को निखारने के लिए प्रतियोगिताओं में जाते रहे। सफीक के अंदर खेल का जज्बा अब भी कायम है।
600 की कमाई व चार सौ का श्रमिक
सफीक का कहना है कि पूरे दिनभर में 600 रुपये तक की कमाई हो पाती है। इसमें भी उसने एक श्रमिक को काम पर रखा है। जिसे एक दिन के चार सौ रुपये दिए जाते हैं। बाडी बिल्डिंग में प्रतिभाग करने को जाने के लिए कर्ज में रुपये लेने पड़ते हैं। वर्तमान में उसके परिवार की स्थिति बहुत खराब है। फुटपाथ पर जो वेल्डिंग की दुकान चल रही है। उसमें ढकने के लिए तिरपाल तक नहीं है।
एबीबीएक्स के अध्यक्ष बलवंत पाल ने बताया कि सफीक अहमद उत्तराखंड बोर्ड बिल्डिंग फेडरेशन से खेलकर मिस्टर नैनीताल व कुमाऊं के कई खिताब जीत चुुका है। उसे शासन व फैडरेशन की ओर से कोई मदद नहीं मिली। गरीबी में रहकर भी उसने अपनी प्रतिभा को निखारा। आज फुटपाथ पर वेल्डिंग जोडऩे को मजबूर है।