Move to Jagran APP

बंदियों के साथ पुलिस की गठजोड़ से अल्मोड़ा जेल में फूल-फल रहा काला कारोबार

एक साल में चार बार एसटीएफ और एक बार जेल अधीक्षक के छापे में इसकी पुष्टि हो चुकी है। हैरानी की बात है कि जेल में तैनात किसी भी जिम्मेदार व्यक्ति पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।

By Prashant MishraEdited By: Published: Mon, 13 Dec 2021 11:59 AM (IST)Updated: Mon, 13 Dec 2021 11:59 AM (IST)
बंदियों के साथ पुलिस की गठजोड़ से अल्मोड़ा जेल में फूल-फल रहा काला कारोबार
पूरे प्रकरण में जेल प्रशासन के साथ रेगुलर पुलिस भी संदेह के घेरे में है।

जागरण संवाददाता, अल्मोड़ा : पहले उप्र, बिहार की जेलों के अंदर से चल रहे काले खेल की ही खबरें आती थी, अब पहाड़ की शांत समझी जाने वाली जेल, यहां चल रहे काले कारोबार से बदनाम हो गई हैं। एक साल में चार बार एसटीएफ और एक बार जेल अधीक्षक के छापे में इसकी पुष्टि हो चुकी है। हैरानी की बात है कि जेल में तैनात किसी भी जिम्मेदार व्यक्ति पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। पूरे प्रकरण में जेल प्रशासन के साथ रेगुलर पुलिस भी संदेह के घेरे में है।

loksabha election banner

अल्मोड़ा जेल में कई कुख्यात अपराधी बंद हैं। कुछ बाहरी जिलों के शातिर अपराधी भी यहा बंद हैं, जो जेल से भी आसानी से आपराधिक घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। यह कृत्य बिना जेल कर्मियों की मिलीभगत के असंभव है। एसटीएफ की छापामारी के दौरान एक जेल कर्मी की मिलीभगत के सबूत भी मिले। एसटीएफ ने कार्रवाई करते हुए पूरे मामले में मुकदमा दर्ज कर रेगुलर पुलिस को मामला सौंप दिया है। रेगुलर पुलिस अभी तक कोई कार्रवाई नहीं कर पाई है। वह तो उन तीन अपराधियों को भी नहीं पकड़ पाई,  जिनके नाम, पते तक एसटीएफ ने दे दिए थे। जेल प्रशासन भी खुद रेगुलर पुलिस में जेल के अंदर चल रहे काले खेल मामले में लिप्त बंदियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा चुकी है। उसके बाद भी कार्रवाई नहीं हुई है, जिससे अपराधियों के हौसले बुलंद हैं। अब सवाल यह है कि अपराधियों के लिए आरामगाह बनी जेल कब अपने मकसद में पूरा होगी।

पांच लोग गिरफ्तार, दो जेल में तीन फरार

एसटीएफ की टीम के बीते माह छापामार कार्रवाई के बाद जेल के बाहर पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया। जबकि तीन अब भी फरार चल रहे हैं। पिछले दिनों पकड़े गए आरोपितों में दीपक तिवारी, भाष्कर नेगी, संतोष रावत, मनीष बिष्ट और महिला आरोपित संतोष हैं। कुख्यात महिपाल और अंकित बिष्ट जेल में ही हैं। इनके अलावा मुख्य चरस सप्लायर भूपेंद्र उर्फ भुप्पी निवासी ग्राम चौड़ा कपकोट बागेश्वर, उत्तराखंड परिवहन निगम का परिचालक अजय गुप्ता निवासी बरेली, महिपाल की करीबी ऋषिकेष निवासी संगीता फरार हैं। वह भी तब, जबकि मामले की जांच आइजी जेल कर रहे हैं।

...इसलिए बैरक नंबर सात ही है कारगार

कुख्यात महिपाल को बड़ा नेटवर्क बनाने से रोकने के लिए जेल प्रशासन तमाम तरह के हथकंडे अपना रहा है। बैरक नंबर सात से महिपाल को अब कहीं और शिफ्ट करने के बारे में सोचा भी नहीं जा सकता। कयास हैं कि अगर बैरक नंबर सात से कुख्यात को दूसरे बैरक में भेजा गया तो वह अन्य कैदियों का सरगना बन नेटवर्क बना सकता है। वहीं काफी पहले एक बार महिपाल के साथ एक ही बैरक में रहे अंकित अब बैरक नबंर चार में है।एसएसपी पंकज भट्ट का कहना है कि जिला कारागार में बंदी के पास चरस बरामद होने के संबंध में जेल अधीक्षक से तहरीर मिली थी, जिसके आधार पर बंदी के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।

अल्मोड़ा जेल अधीक्षक जयंत पांगती ने बताया कि अल्प अवधि जमानत से लौटे बंदी की जेल में प्रवेश के दौरान तलाशी ली गई। बंदी के पास अचार के सील बंद जार, टूथपेस्ट में और बाम के डिब्बे के तले में चरस बरामद हुई। तहरीर कोतवाली पुलिस को दी है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.