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सहयोग से समाधान : कोरोना के बीच बीकानेरवाला ने ग्राहकों से संवाद कायम कर बढ़ाई संबंधों की मिठास

बीकानेरवाला की मिठाइयों की मिठास को कोरोना का कहर कम नहीं कर पाया है। संकटकाल में भी हल्द्वानी की यह सुप्रसिद्ध मिठाई शॉप लोगों के उत्साह-उम्मीदों का साथ देती उनका मुंह मीठा करा रही है। लोगों ने स्वाद ही नहीं बल्कि इसकी शुचिता और सुरक्षा पर भी भरोसा जताया है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Tue, 20 Oct 2020 12:30 AM (IST)Updated: Tue, 20 Oct 2020 08:00 AM (IST)
सहयोग से समाधान : कोरोना के बीच बीकानेरवाला ने ग्राहकों से संवाद कायम कर बढ़ाई संबंधों की मिठास
बीकानेरवाला की मिठाइयों की मिठास को कोरोना का कहर कम नहीं कर पाया है।

हल्द्वानी, जेएनएन : बीकानेरवाला की मिठाइयों की मिठास को कोरोना का कहर कम नहीं कर पाया है। संकटकाल में भी हल्द्वानी की यह सुप्रसिद्ध मिठाई शॉप लोगों के उत्साह-उम्मीदों का साथ देती, उनका मुंह मीठा करा रही है। लोगों ने स्वाद ही नहीं, बल्कि इसकी शुचिता और सुरक्षा पर भी भरोसा जताया है। प्रतिष्ठान के संचालक बीरेंद्र सिंह बिष्ट कहते हैं हमें स्वाद के शिखर तक पहुंचाने वाले हमारे ग्राहक हैं। पिछले करीब दो साल में ग्राहकों का प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष सहयोग-सलाह हमारा संबल बना। ग्राहकों से लगातार संवाद कर बीकानेरवाला ने स्वाद के साथ-साथ सेहत-सुरक्षा का खास ख्याल रखते ग्राहकों के विश्वास व भरोसे को और मजबूत किया। बीरेंद्र बिष्ट कहते हैं कि बिजनेस में सफलता के लिए ईमानदारी, विश्वास बनाए रखना बहुत जरूरी है। ईमानदारी और विश्वास की बुनियाद पर खड़े किसी भी व्यवसाय में सफलता मिलना तय है।

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इस तरह आगे बढ़ता गया सफर

बीरेंद्र बिष्ट बताते हैं नवंबर 2018 को उन्होंने नैनीताल रोड स्थित सरस बाजार में बीकानेरवाला स्वीट, नमकीन शाप व रेस्टोरेंट की शुरुआत की। धीरे धीरे काम बढ़ाया। वर्तमान में पैक्ड मिठाई, गिफ्ट पैक, हैमर्स आदि भी शाप पर उपलब्ध है। कैटरिंग का काम भी करते हैं। शाप पर इतनी जगह है कि यहां छोटी पार्टी आसानी से हो जाती है। बीरेंद्र ने एमबीपीजी कालेज से बीकाम की शिक्षा ग्रहण की है। कालेज के समय में छात्र राजनीति से भी जुड़े रहे। वह कहते हैं ग्राहक को एक जगह पर समस्य सुविधाएं देना उनकी प्राथमिकता है। यही वजह है कि बीरेंद्र बिष्ट आज इस संकटकाल में भी अपने ग्राहकों के सुझावों को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हैं। आइए, उन्हीं से जानते हैं कि ग्राहकों के सुझाव और संवाद से उन्होंने कौन-से खास कदम उठाए, जिनसे महामारी की चुनौती का सामाना करने में आसानी हुई।

समाधान 1 : सबसे पहले सेहत की सुरक्षा

बीरेंद्र बिष्ट कहते हैं कि कोरोना काल में लोग सेहत के प्रति काफी फिक्रमंद थे। हमने इसे गंभीरता से लिया। लाकडाउन के शुरुआती दिनों में सबसे बड़ी परेशानी यह थी कि पूरा स्टाफ एक साथ दफ्तर नहीं आ सकता था, लेकिन जहां चाह होती है वहां राह भी निकल आती है। सेहत और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए हमने स्टाफ के लिए शाप पर ठहरने की व्यवस्था की। स्टाफ का रैंडमली कोरोना टेस्ट कराया। कस्टमर के लिए थर्मल स्क्रीनिंग, सैनिटाइजेशन की विधिवत व्यवस्था की गई।

समाधान 2 : सुझावों से बदला स्वाद और आकार

ग्राहकों के सुझाव पर बदले स्वाद और आकार में मिठाई की पैकिंग की। कुछ ग्राहकों ने इस संकटकाल में कुछ मिठाइयों का आकार छोटा करने को कहा। सुझाव पर हमने अमल किया और इसका फायदा मिला। कई नए प्रोडक्ट शुरू किए।

समाधान 3 : होम डिलीवरी शुरू की

बीरेंद्र ने बताया कि हम कुछ कोरोना काल में लोगों को बेहतर सुविधा देने के लिए हमने होम डिलीवरी शुरू की। हम खुद भी होम डिलीवरी करने जाते हैं। जोमाटो से आर्डर करने पर दस प्रतिशत का डिस्काउंट दिया। इससे ग्राहकों के बीच हमारा विश्वास और बढ़ा। ग्राहकों ने हमारी पहल को सराहा। इससे शाप पर भीड़ को व्यवस्थित करने में मदद मिली तो ग्राहक को घर बैठे सुविधा भी मिल गई। इससे संक्रमण का खतरा भी कम हो गया।

समाधान 4 : ग्राहकों से बनाए रखा संवाद

लाकडाउन के दौरान सभी डरे हुए थे। इस मुश्किल घड़ी में हमने ग्राहकों से संवाद बनाए रखा। वाट्सएप और फेसबुक पेज के माध्यम से अपने प्रोडक्ट की जानकारी दी। कोरोना से बचाव, सुरक्षा को लेकर खुद की तैयारियों की जानकारी दी। इससे ग्राहकों का भरोसा बढ़ा। हमारे प्रयासों का असर दिखाने देना लगा है। अनलाक-पांच के बाद जब बाजार ओपन हो चुका है। बाजार में इसका असर दिख रहा है। खरीदारी के लिए लोग पहने की अपेक्षा उमडऩे लगे हैं।

सहयोग-मदद की भावना ने बढ़ाई मिठास

बीरेंद्र बताते हैं कि लाकडाउन के दौरान बड़ी संख्या में प्रवासी पहाड़ लौट रहे थे। बाहरी राज्यों के कई मजदूर भी हल्द्वानी में फंस गए। हमने मुश्किल में फंसे लोगों को भोजन के पैकेट, पानी की बोतल बांटी। हमारे इस प्रयास की लोगों ने सराहना की। कोरोना काल में हमने मुख्यमंत्री राहत कोष में एक लाख रुपये की आर्थिक मदद की।


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