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आईआईटी रुड़की में डायरेक्टर समेत अन्य को हाईकोर्ट से बड़ी राहत, जानिए क्या है पूरा मामला

उच्च न्यायालय से आईआईटी रुड़की के निदेशक अजीत कुमार चतुर्वेदी समेत अन्य को बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने एसीजेएम रुड़की के उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश पर रोक लगा दी है। राज्य सरकार व अन्य पक्षकारों को तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Thu, 07 Jan 2021 12:31 PM (IST)Updated: Thu, 07 Jan 2021 12:31 PM (IST)
आईआईटी रुड़की में डायरेक्टर समेत अन्य को हाईकोर्ट से बड़ी राहत, जानिए क्या है पूरा मामला
आईआईटी रुड़की में डायरेक्टर समेत अन्य को हाईकोर्ट से बड़ी राहत, जानिए क्या है पूरा मामला

नैनीताल, जागरण संवाददाता : उच्च न्यायालय से आईआईटी रुड़की के निदेशक अजीत कुमार चतुर्वेदी समेत अन्य को बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने एसीजेएम रुड़की के उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश पर फिलहाल रोक लगा दी है। साथ ही राज्य सरकार व अन्य पक्षकारों को तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।

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दरअसल आईआईटी रुड़की में एक करोड़ पांच लाख के गबन के मामले में सीनियर असिस्टेंट धीरज उपाध्याय को निलंबित कर दिया गया था। साथ ही पिछले साल 18 जून को उसके खिलाफ कोतवाली री में तहरीर दी गई थी। विवेचना के दौरान आरोपित सीनियर असिस्टेंट धीरज ने अनियमितता के आरोप स्वीकार कर लिए थे तो विभागीय जांच में भी दोषी पाए गए। जिसके बाद जुर्माना लगाते हुए सेवा से बर्खास्त कर दिया गया।

11 दिसंबर को उसके खिलाफ रेगुलर एफआईआर दर्ज कर दी गई। इसी बीच पिछले साल 31 जुलाई को रिटायर कर्मचारी व आईआईटी कर्मचारी यूनियन के पदाधिकारी रहे मनपाल शर्मा ने एसीजेएम रुड़की के समक्ष याचिका दायर कर इस घपले में आईआईटी निदेशक अजित कुमार चतुर्वेदी, डीन मनीष श्रीखंडे, असिस्टेंट रजिस्ट्रार जितेंद्र डिमरी के शामिल होने का आरोप लगाते हुए एफआईआर के आदेश जारी करने की याचना की।

23 दिसंबर को एसीजेएम ने निदेशक, असिस्टेंट रजिस्ट्रार व डीन के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के निर्देश पुलिस को दिये। निदेशक चतुर्वेदी ने एसीजेएम कोर्ट के आदेश को याचिका दायर कर हाईकोर्ट में चुनौती दी। न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश चंद्र खुल्बे की एकलपीठ में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता विपुल शर्मा ने कहा कि एक अपराध के लिए दो एफआईआर का कानूनी प्रावधान नहीं है।

मामले में आरोपित के खिलाफ पहले ही प्राथमिकी दर्ज हो चुकी है, यदि जांच में इस घपले में कोई और दोषी पाया जाता है तो उसका नाम जोड़ा जा सकता है। साथ ही कहा कि मानपाल शर्मा ने निराधार आरोप लगाए हैं, बिना प्रमाण के आरोप लगाने से प्रतिष्ठित संस्थान की साख धूमिल होती है।एकलपीठ ने मामले को सुनने के बाद एफआइआर दर्ज करने पर फिलहाल रोक लगा दी।


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