हल्द्वानी में भोजनमाताओं के धरने में गूंजा 'ले मशाल चल पड़े हैं लोग मेरे गांव के...गीत
भोजनमाताओं ने रविवार को बुद्ध पार्क में धरना प्रदर्शन किया। सरकार और शिक्षा विभाग पर अमानवीय व्यवहार करने का आरोप लगाया गया। धरने को समर्थन देने पहुंचे परिवर्तनकामी छात्र संगठन के साथ भोजनमाताओं ने जनकवि बल्ली सिंह चीमा का गीत ले मशाल चल पड़े हैं लोग मेरे गांव के.. गाया।
हल्द्वानी, जागरण संवाददाता : अनदेखी से नाराज भोजनमाताओं ने रविवार को बुद्ध पार्क में धरना प्रदर्शन किया। इस दौरान सरकार और शिक्षा विभाग पर अमानवीय व्यवहार करने का आरोप लगाया गया। धरने को समर्थन देने पहुंचे परिवर्तनकामी छात्र संगठन के साथ भोजनमाताओं ने जनकवि बल्ली सिंह चीमा का गीत 'ले मशाल चल पड़े हैं लोग मेरे गांव के..' गाया।
प्रगतिशील भोजनमाता संगठन के बैनर तले कुमाऊं भर की भोजनमाताएं तिकोनिया स्थित बुद्ध पार्क में धरने पर बैठी। इस दौरान संगठन ने सभी भोजनमाताओं का स्थायीकरण किये जाने, न्यूनतम वेतन लागू करने और नए शासनादेश को रद्द किए जाने की मांग उठाई। संचालन करते हुए यूनियन की महामन्त्री रजनी ने कहा कि भोजनमाताएं पिछले 17-18 साल से स्कूलों में खाना बनाने का कार्य कर रही हैं। इसके अलावा उनसे साफ सफाई, किचन गार्डन बनाने, जन्म दिवस और अध्यापकों की विदाई पार्टी में खाना बनाने का कार्य भी करवाया जा रहा है। इसके बावजूद केवल दो हजार रुपये प्रति माह उन्हें दिए जा रहे हैं।
यूनियन की अध्यक्ष हंसी ने कहा कि ईमानदारी से कार्य करने वाली भोजनमाताओं को स्कूलों से निकालने के लिए नए नए शासनादेश जारी किए जा रहे हैं। सरकार को रोजगार छिनने नहीं बल्कि देने वाला बनना चाहिए। अन्य वक्ताओं ने कहा कि दो हजार रुपये के अल्प मानदेय में गुजर बसर करना मुमकिन नहीं हो पा रहा है। यदि इतनी लंबी सेवा देने के बाद भी भोजनमाताओं को स्कूलों से निकाला जा रहा है तो वे क्या करेंगी?, कहाँ जाएंगी? इन सवालों के जवाब सरकार को देना होगा। इस मौके पर हंसी देवी, तुलसी देवी, कमला, प्रेमा, चंपा, मुन्नी देवी, गीता, शबनम, तुलसी, शीला शर्मा, हंसी देवी, कमलेश समेत 150 से अधिक भोजनमाताएं मौजूद रही।
इनका भी मिला समर्थन
भोजनमाताओं के धरना प्रदर्शन को विभिन्न संगठनों का भी साथ मिला। इनमें प्रगतिशील महिला एकता केंद्र, क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन, परिवर्तन कामी छात्र संगठन, मजदूर संगठन, ठेका मजदूर कल्याण समिति, ऑटो लाइन, इम्प्लॉइज यूनियन, शिरडी मजदूर संगठन, इंकलाबी मजदूर केंद्र आदि शामिल रहे।