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बार्क ने रेडियोधर्मी तत्वों का आकलन करने के लिए हल्द्वानी में स्थापित किया रेडॉन जियो स्टेशन

बार्क मुंबई की ओर से हल्द्वानी में रेडॉन जियो स्टेशन स्थापित कर दिया गया है। इससे हवा पानी व मिट्टी में रेडियोधर्मी तत्वों का आकलन संभव हो सकेगा। राष्ट्रीय परियोजना के तहत उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय हल्द्वानी परिसर में स्थापित स्टेशन ने काम करना भी शुरू कर दिया है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Wed, 03 Mar 2021 07:17 AM (IST)Updated: Wed, 03 Mar 2021 05:30 PM (IST)
बार्क ने रेडियोधर्मी तत्वों का आकलन करने के लिए हल्द्वानी में स्थापित किया रेडॉन जियो स्टेशन
बार्क ने रेडियोधर्मी तत्वों का आकलन करने के लिए हल्द्वानी में स्थापित किया रेडॉन जियो स्टेशन

हल्द्वानी, गणेश जोशी : भाभा एटोमिक रिसर्च सेंटर (बार्क) मुंबई की ओर से हल्द्वानी में रेडॉन जियो स्टेशन स्थापित कर दिया गया है। इससे हवा, पानी व मिट्टी में रेडियोधर्मी तत्वों का आकलन संभव हो सकेगा। राष्ट्रीय परियोजना के तहत उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय हल्द्वानी परिसर में स्थापित स्टेशन ने काम करना भी शुरू कर दिया है। देहरादून, कोटद्वार के बाद यह तीसरा स्टेशन है। इसके बाद पिथौरागढ़ में भी इसे स्थापित किया जाएगा।

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बार्क के वैज्ञानिक डा. मनीष जोशी ने बताया कि रेडॉन जियो स्टेशन का भार 100 किलोग्राम है। इसके लिए कैंपस में दो गुणा दो की जगह ली है। ऐसी जगह पर स्थापित किया है, जहां सूर्य की पूरी रोशनी मिलती रहे। उत्तराखंड साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च सेंटर के निदेशक प्रो. दुर्गेश पंत का कहना है कि इस तरह की पहल से विश्वविद्यालय को भी लाभ मिलेगा।

17 जनवरी 2020 को भेजा था पत्र

बार्क के विकिरणीय भौतिकी एवं सलाहकार प्रभाग के अध्यक्ष डॉ. बीके सप्रा ने 17 जनवरी को यूओयू के कुलपति प्रो. ओपीएस नेगी को पत्र भेजा था। इस पर विश्वविद्यालय ने सहमति दे दी थी।

मुंबई पहुंचेगा डाटा

वैज्ञानिक डा. जोशी ने बताया कि अब इस सेंटर का डाटा सीधे मुंबई बार्क में पहुंच जाएगा। इस क्षेत्र में भूमि के नीचे की रेडियोधर्मी तत्वों से संबंधित तमाम जानकारी बार्क को मिलती रहेगी। इस डाटा को कई तरह के रिसर्च करने में मदद मिलेगी। भविष्य में कई अन्य परियोजनाओं को लेकर भी यह स्टेशन काम आएगा।

उत्तराखंड के लिए बड़ी उपलब्धि

कुलपति, उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय, हल्द्वानी प्रो. ओपीएस नेगी ने बताया कि फिलहाल हमें सीधे इसका लाभ नहीं मिलेगा, लेकिन यह उत्तराखंड के लिए बड़ी उपलब्धि है। भविष्य में फिजिक्स, जियो फिजिक्स, सिस्मोलॉजी से संबंधित शोध में मदद मिल सकेगी। इसके अलावा रेडिएशन के खतरों की जानकारी होने पर बचाव के उपाए किए जा सकेंगे।

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