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विदेश से मिली रकम समय पर जमा करना बैंक की जिम्मेदारी : ज‍िला उपभोक्‍ता आयोग

यूएस से मिली राश‍ि को भारतीय बैंक में जमा करने में हुई देरी का खामियाजा एसबीआइ प्रबंधन भुगतेगा। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने मामले मेें खाताधारक को हुए नुकसान की भरपाई करने के आदेश भारतीय स्टेट बैंक बेरीनाग को दिए हैं।

By Prashant MishraEdited By: Published: Sat, 03 Apr 2021 09:18 AM (IST)Updated: Sat, 03 Apr 2021 09:18 AM (IST)
विदेश से मिली रकम समय पर जमा करना बैंक की जिम्मेदारी : ज‍िला उपभोक्‍ता आयोग
डालर और रुपये की विनिमय दर में हुए परिवर्तन से 3,36,684 रुपये का नुकसान हुआ।

जागरण संवाददाता, पिथौरागढ़ :  अमेरिका से मिली धनराशि को भारतीय बैंक में जमा करने में हुई देरी का खामियाजा भारतीय स्टेट बैंक प्रबंधन भुगतेगा। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने मामले मेें खाताधारक को हुए नुकसान की भरपाई करने के आदेश भारतीय स्टेट बैंक बेरीनाग को दिए हैं। 

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बेरीनाग की अवनी संस्था को बार फाउंडेशन बोस्टन यूएसए से 1,25,000 डॉलर की धनराशि प्रदान की थी। फरवरी 2017 में दी गई इस धनराशि का तत्कालीन भारतीय मूल्य 83,66,337 रुपये था। विदेश व्यापार शाखा अंतर्राष्ट्रीय बैकिंग विभाग नई दिल्ली ने भारतीय स्टेट बैंक बेरीनाग को धनराशि जमा करने के लिए प्रपत्र स्पीड पोस्ट से फरवरी में ही उपलब्ध करा दिए थे। लेकिन बैंक ने यह धनराशि जून में अवनी संस्था के खाते में जमा की। इस अवधि में डालर और रुपये की विनिमय दर में हुए परिवर्तन से धनराशि घटकर 80,29,653 रुपये हो गई। जिससे संस्था को 3,36,684 रुपये का नुकसान हो गया। 

संस्था के निदेशक रजनीश जैन ने मामला जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग के समक्ष रखा। आयोग के अध्यक्ष एवं जिला जज डा. जीके शर्मा और सदस्य चंचल सिंह बिष्ट ने मामला सुना। एसबीआइ बेरीनाग ने आयोग के समक्ष अपना पक्ष रखते हुए कहा कि धनराशि की पुष्टि विदेशी मुद्रा अंतरण बैकिंग विभाग नई दिल्ली से होनी थी, इसके बाद इसे बैंक की नैनीताल इकाई को भेजा जाना था। औपचारिकताएं पूर्ण नहीं हो पाने के कारण इसमें व‍िलंब हो गया। इस बीच बैंक के लेखाधिकारी लंबे अवकाश पर चले गए। जिससे धनराशि जून में खाते में जमा हो पाई। 

आयोग ने कहा कि प्राप्त धनराशि नियमानुसार तीन दिन के भीतर खाते में जमा हो जानी थी। आयोग ने लेखाधिकारी के छुट्टी पर चले जाने के बैंक के तर्क को नहीं माना और इससे सेवा में कमी बताया। वादी के इस तर्क को भी आयोग ने नहीं माना कि इस धनराशि को फिक्स डिपॉजिट किए जाने पर मिलने वाले ब्याज का उसे नुकसान हुआ है। परिवादी यह साबित नहीं कर सका कि इस धनराशि को वह फिक्स डिपॉजिट ही करता। आयोग ने कहा कि इस आधार पर वह बचत खाते पर प्रचलित चार प्रतिशत की दर से साधारण ब्याज पाने का अधिकारी है। आयोग ने विनियम दर में परिवर्तन के कारण अवनी संस्था को हुए 3,36,684 रुपये के नुकसान की भरपाई का जिम्मा बैंक पर डाला। साथ ही इस धनराशि पर चार प्रतिशत साधारण ब्याज, मानसिक कष्ट के लिए पांच हजार और वाद व्यय के रूप में पांच हजार दिए जाने के आदेश बैंक को दिए। 

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