हल्द्वानी में होली के मधुर गीतों पर झूूमे रसिक, घंटों चली बैठकी में जमा रंग
हिमालय संगीत शोध समिति मुखानी की ओर से परंपरागत होली गायन जारी है। रविवार को सजी महफिल में युवा व वरिष्ठ कलाकारों ने होली गीतों की प्रस्तुति दी। आचार्य धीरज उप्रेती के तबला संगत में मनोज पांडे ने मन रंग दे करतार मधुर मोरा साज मिला दे की प्रस्तुति दी।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : हिमालय संगीत शोध समिति मुखानी की ओर से परंपरागत होली गायन जारी है। रविवार को सजी महफिल में युवा व वरिष्ठ कलाकारों ने होली गीतों की प्रस्तुति दी। आचार्य धीरज उप्रेती के तबला संगत में मनोज पांडे ने मन रंग दे करतार, मधुर मोरा साज मिला दे, खूंटी टूटी तार बिखर गए, कैसे बजाऊं तोरी बीणा.. की प्रस्तुति दी।
संगीतज्ञ डा. पंकज उप्रेती ने होली गीत के जरिये प्रभु स्मरण किया। ये कैसी होरी खेलाई श्याम तुम बड़े हरजाई, खेलत गेंद गिरी जमुना में, तें मेरी गेंद चुराई.. को होली के रसिकों ने खूब आनंद लिया। लोकेश कुमार ने आध्यात्म की रचना पेश करते हुए सिया राम कहो बड़ी देर भई, जनम जनम का भूखा मनुवा.. होली गीत सुनाया। पंकज पांडे ने आवत देखे चतुर खिलारी को, मैं भी तो खेलन आई, या रसिया ने मरो सब रस लीनो, खेलत रार मचाई.. सुनाकर महफिल में रंगत घोली। शुभम मठपाल ने बहुत दिनन के रूठे श्याम को होरी में मना लाऊंगी, श्री वृंदावन की कुंजगलिन से, गोदी में उठा लाऊंगी.. सुनाकर कन्हाई की लीला का वर्णन किया।
योगेश उपाध्याय ने कहत निषाद सुनो रघुनंदन, नाथ लूं तुमसे उतराई, नदी और नाव के हम हैं खिवैया, भव सागर के तुम हो तरैया.. सुनाकर श्रीराम की महत्ता का वर्णन किया। आयोजन में गौरव वर्मा, कुश जोशी, कपिल उप्रेती, जगदीश पांडे, आशुतोष उप्रेती, शुभम पोखरिया, तनुज उपाध्याय, सुरेश जोशी, गणेश भट्ट, राजेश कुमार आदि ने मधुर होली गीतों की प्रस्तुति दी।