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नारी निकेतन में मूक बधिर संवासिनी से दुष्कर्म के दोषियों की जमानत मंजूर, जानें क्‍या था मामला

नारी निकेतन देहरादून में मूक बधिर संवासिनी के साथ दुष्कर्म और गर्भपात कराने के मामले में हाई कोर्ट ने निचली कोर्ट से सजायाफ्ता दोषियों की जमानत मंजूर कर ली।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Thu, 26 Sep 2019 11:59 AM (IST)Updated: Thu, 26 Sep 2019 11:59 AM (IST)
नारी निकेतन में मूक बधिर संवासिनी से दुष्कर्म के दोषियों की जमानत मंजूर, जानें क्‍या था मामला
नारी निकेतन में मूक बधिर संवासिनी से दुष्कर्म के दोषियों की जमानत मंजूर, जानें क्‍या था मामला

नैनीताल, जेएनएन : पिछली सरकार के कार्यकाल के दौरान नारी निकेतन देहरादून में मूक बधिर संवासिनी के साथ दुष्कर्म और गर्भपात कराने के मामले में हाई कोर्ट ने निचली कोर्ट से सजायाफ्ता दोषियों की जमानत मंजूर कर ली। बुधवार को न्यायाधीश न्यायमूर्ति एनएस धानिक की एकलपीठ में निचली कोर्ट से दोषी सिद्ध सम्मा निगर, अनीता मंडूला, किरन नौटियाल, चंद्रकला क्षेत्री व ललित बिष्ट की याचिका पर सुनवाई हुई। निचली कोर्ट ने उनकी जमानत अर्जी खारिज कर दी थी। 

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उल्लेखनीय है कि 2015 में 27 नवंबर को एसआइटी द्वारा देहरादून में प्रथम सूचना रिपोर्ट लिखवाई गई। इसमें कहा गया कि दोषियों ने लोकसेवक रहते हुए साजिश के तहत असहाय व अभिरक्षा में निरुद्ध मूक बधिर संवासिनी के साथ दुष्कर्म किया, जिसके बाद वह गर्भवती हो गई। खुद को बचाने के लिए अपराध सिद्ध अभियुक्तों ने संवासिनी का गर्भपात करा दिया। निचली कोर्ट ने दोषी पाते हुए अभियुक्तों को सजा सुनाई थी। इसके बाद जमानत के लिए उन्होंने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। जहां उनकी जमानत मंजूर हो गई। 

वर्ष 2015 नवंबर में सामने आए एक गुमनाम पत्र ने राजधानी दून के साथ ही पूरे राज्य में नारी निकेतन पर सवाल खड़े कर दिए थे। पत्र लिखने वाले ने बताया था कि कैसे नारी निकेतन के अंदर एक मूक बधिर संवासिनी के साथ पहले रेप किया गया और बाद में जब वह गर्भवती तो गई तो उसका गर्भपात कराकर भ्रूण को जंगल में छिपा दिया गया। मामले में जिला सत्र एवं न्यायधीश षष्टम धर्म सिंह की कोर्ट ने सभी आरोपियों को दोषी करार दिया था। जिसके बाद उन्‍हें जेल भेज दिया गया था। 

नौ के नौ दोषियों को मिली सजा

जिला सत्र एवं न्यायधीश की कोर्ट ने मामले में मुख्य आरोपी सफाईकर्मी गुरुदास को, हासिम व ललित बिष्ट को, शमा निगार, अनिता मैंदोला, चंद्रकला व किरण कांछा, तत्कालीन नारी निकेतन अधिक्षिका मीनाक्षी पोखरियाल के साथ कृष्णकांत को सजाई सुनाई थी। 

एसआईटी ने की थी मामले की जांच 

2015 में हुए इस सनसनीखेज वारदात ने केवल नारी निकेतन को ही नहीं बल्कि सरकार को भी कटघरे में खड़ा कर दिया था। नारी निकेतन के सभी अधिकारी व कर्मचारी ऊपर से लेकर नीचे तक मामले को किसी भी तरह दबाने में लगे थे। यही वजह थी कि सब कुछ जानकार भी अंजान बने रहने वालों को भी कोर्ट ने सजा दी। सरकार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए एसआईटी का गठन किया और जांच तत्कालीन एसपी सिटी अजय सिंह के नेतृत्व में कराई गई। शुरुआती जांच में स्थिति साफ हो गई कि मूक बधिर लड़की के साथ गलत हुआ है। बाद में एसआईटी ने वह भ्रूण भी दुधली के जंगल से बरामद कर लिया जिसे नारी निकेतन कर्मियों ने छिपा रखा था।

एक्सपर्ट की ली गई मदद 

एसआईटी ने मूक बधिर लड़की से बात करने के लिए एक्सपर्ट की मदद ली। जिसने कई घंटे तक चली बातचीत में उसके साथ हुए दुराचार के सच को जान लिया। हालांकि, इसके अलावा भी एसआईटी को वो तमाम साक्ष्य मिल गए थे जिसके आधार पर आरोपियों को सजा दिलाई जा सके। मुख्य आरोपी गुरुदास का डीएनए टेस्ट रिपोर्ट भी मैच हो गया जिसके आधार पर उसे सबसे अधिक सात साल की सजा निचली कोर्ट ने सुनाई थी। मामले में कुल 27 गवाह पेश किए गए थे जिनकी गवाही के साथ ही साईंटिफिक एविडेंस सजा का आधार बने थे। 


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