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बोटिंग शुरू होने से पर्यटकों को आकर्षित करेगी बागेश्वर की कृत्रिम बैजनाथ झील

खूबसूरत पहाड़ी क्षेत्र में पर्यटन ही रोजगार का एकमात्र साधन बन सकता हैं। जिस ओर अभी तक किए गए प्रयास नाकाफी ही हैं। अब बागेश्वर की कृत्रिम बैजनाथ झील में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कार्य योजना तैयार की जा रही हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sun, 22 Nov 2020 11:11 AM (IST)Updated: Sun, 22 Nov 2020 11:11 AM (IST)
बोटिंग शुरू होने से पर्यटकों को आकर्षित करेगी बागेश्वर की कृत्रिम बैजनाथ झील
बोटिंग शुरू होने से पर्यटकों को आकर्षित करेगी बागेश्वर की कृत्रिम बैजनाथ झील

बागेश्वर, जेएनएन : खूबसूरत पहाड़ी क्षेत्र में पर्यटन ही रोजगार का एकमात्र साधन बन सकता हैं। जिस ओर अभी तक किए गए प्रयास नाकाफी ही हैं। अब बागेश्वर की कृत्रिम बैजनाथ झील में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कार्य योजना तैयार की जा रही हैं। अगर यह कार्ययोजना धरातल पर उतरती है तो पर्यटकों की संख्या तो बढ़ेगी ही वही लोगों की आमदनी में भी इजाफा होगा।

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बागेश्वर जिले में पहली कृत्रिम झील बैजनाथ में स्थित हैं। यह झील 2015 में बनकर तैयार हुई। इसमें कुल 15 करोड़ 23 लाख रुपए खर्च हुए थे। इतनी धनराशि खर्च होने के पांच साल बाद भी यहां पर कोई पर्यटन गतिविधियां नही हुई। करीब दो साल पहले पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए फ्लोटिंग ब्रिज भी बनाया गया। यह कुमांऊ की किसी भी कृत्रिम झील में बना पहला फ्लोटिंग ब्रिज था। इसका निर्माण केएमवीएन ने किया था। यहां नौकायन आदि की बात भी कही गई लेकिन आज तक इसमें कोई भी कार्य नही हो पाया हैं। सिंचाई विभाग ने तो बैजनाथ झील में नौकायन का आगणन तैयार कर शासन को भेजा है। अब फिर से यहां पर नौकायन शुरू करने की कार्ययोजना तैयार की जा रही हैं। उम्मीद है कि अगला पर्यटन सीजन शुरू होने से पहले यहां नौकाएं दिख जाए ताकि पर्यटन की गतिविधियों को बढ़ावा मिल सके।

फ्लोटिंग ब्रिज की विशेषता

बैजनाथ झील में कुमाऊं का पहला फ्लोटिंग ब्रिज बनकर तैयार हो गया है। सैलानी शीघ्र फ्लोटिंग ब्रिज में चढ़कर बैजनाथ झील का लुफ्त उठाएंगे। ब्रिज के बनने से बैजनाथ झील की सुंदरता बढ़ गई है। ब्रिज की खास बात है कि नदी के उफान भरते ही ब्रिज स्वत: ऊपर उठ जाएगा।

कत्यूरों की राजधानी थी कार्तिकेयपुर

बागेश्वर जिले में स्थित बैजनाथ गोमती नदी के किनारे एक छोटा सा नगर है। यह अपने प्राचीन मंदिरों के लिए विख्यात है। जिन्हें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा उत्तराखंड में राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों के रुप में मान्यता प्राप्त है। बैजनाथ उन चार स्थानों में से एक है, जिन्हें भारत सरकार की स्वदेश दर्शन योजना के तहत 'शिव हेरिटेज सर्किट' से जोड़ा जाना है। बैजनाथ को प्राचीनकाल में "कार्तिकेयपुर" के नाम से जाना जाता था, और तब यह कत्यूरी राजवंश के शासकों की राजधानी थी। कत्यूरी राजा तब गढ़वाल, कुमाऊं तथा डोटी क्षेत्रों तक राज करते थे।

झील में जल्द दिखेगी पैडिल बोट

जिलाधिकारी विनीत कुमार ने कहा कि बैजनाथ एक धार्मिक स्थल है तथा यह पर्यटन स्थल एक महत्वपूर्ण स्थान पर है जहॉ पर पर्यटक भारी संख्या में आते है। इस स्थल को पर्यटन गतिविधियों के लिए विकसित करने से जंहा आने वाले पर्यटकों को साहसिक पर्यटन खेल की सुविधा उपलब्ध होगी, वहीं स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी उपलब्ध होंगे। उन्होंने कहा कि बैजनाथ झील में साहसिक पर्यटन गतिविधियों को विकसित करने के लिए झील में जो भी गतिविधियॉ संचालित की जा सकती है जिसमें पैडिल वोट व जोरबिन बॉल एवं पर्यटकों आकर्षित करने के लिए डेकोरेशन लार्इट एवं लेजर लार्इट आदि के लिए बेहतर कार्ययोजना तैयार की जा रही है।


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