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महिला डिग्री कॉलेज में बिना फैकेल्‍टी और किताबों के हो रहा बीकॉम ऑनर्स nainital news

हल्द्वानी स्थित कुमाऊं के सबसे पुराने महिला डिग्री कॉलेज में प्रोफेशनल कोर्स के तौर पर बीकॉम ऑनर्स तो शुरू कर दिया गया मगर सुविधाएं चार साल बाद भी नदारद हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 20 Dec 2019 12:51 PM (IST)Updated: Fri, 20 Dec 2019 12:51 PM (IST)
महिला डिग्री कॉलेज में बिना फैकेल्‍टी और किताबों के हो रहा बीकॉम ऑनर्स nainital news
महिला डिग्री कॉलेज में बिना फैकेल्‍टी और किताबों के हो रहा बीकॉम ऑनर्स nainital news

हल्द्वानी, जेएनएन : हल्द्वानी स्थित कुमाऊं के सबसे पुराने महिला डिग्री कॉलेज में प्रोफेशनल कोर्स के तौर पर बीकॉम ऑनर्स तो शुरू कर दिया गया, मगर सुविधाएं चार साल बाद भी नदारद हैं। न तो कॉलेज में ऑनर्स की फैकल्टी है और न ही किताबें। पाठ्य सामग्री बीकॉम की किताबों से जुटानी पड़ती हैं। स्थायी संबद्धता की फाइल कई महीनों से शासन स्तर पर लंबित है।

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चार साल पहले हुआ था शुरू

महिला डिग्री कॉलेज में वर्ष 2015-16 में बीकॉम ऑनर्स अस्थायी तौर शुरू किया गया था। प्रत्येक  सेमेस्टर के लिए 60 सीटें निर्धारित की गईं। बीकॉम ऑनर्स की पढ़ाई शुरू करने वाला एकमात्र सरकारी डिग्री कॉलेज होने के चलते यहां कुमाऊं-गढ़वाल के जिलों से छात्राएं दाखिला लेती हैं।

पांच प्राध्यापक पढ़ा रहे

स्थायी फैकल्टी न होने के चलते बीकॉम ऑनर्स की कक्षाएं संचालित करने का जिम्मा पांच प्राध्यापकों पर है। इन प्राध्यापकों को ऑनर्स के साथ-साथ बीकॉम व एमकॉम की कक्षाओं में भी पढ़ाना पढ़ता है। नियमानुसार प्रोफेशनल कोर्स के लिए संबंधित संस्थान में विषय विशेषज्ञ नियुक्त होने चाहिए। 

बजट से भारी किताबों के दाम

बीकॉम ऑनर्स की अधिकांश किताबों के दाम कॉमर्स को मिलने वाले बजट से भी भारी है। कॉमर्स डिपार्टमेंट का बजट बीकॉम, एमकॉम और ऑनर्स में खपाना पड़ता है, जबकि ऑनर्स की प्रत्येक किताब का दाम एक से डेढ़ हजार रुपये तक होता है।

इन किताबों के बिना हो रही ऑनर्स की पढ़ाई

बिजनेस मैथमेटिक्स, ई-बिजनेस, बिजनेस एथिक्स सोशल रिस्पांसबिलिटी, स्मॉल बिजनेस मैनजमेंट इंटर प्रिन्योरशिप, फाइनेंशियल मार्केट एंड इंस्टीट्यूशंस, सिक्योरिटी एनालिसिस एंड पोर्टफोलियो मैनेजमेंट, इंडस्ट्रीयल रिलेशन लेबर लॉज।

किताबों की है शॉर्टेज

डॉ. फकीर सिंह, पाठ्यक्रम समन्वयक ने बताया कि स्थायी फैकल्टी मिले तो बीकॉम ऑनर्स और बेहतर तरीके से चल सकता है। पांच प्राध्यापकों पर बीकॉम, एमकॉम, ऑनर्स का अतिरिक्त दबाव है। किताबें कम होने के कारण शिक्षकों को पाठ्य सामग्री जुटानी पड़ती है।

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