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खुद सलाखों में कैद मगर आजाद थे अटल के इरादे

भाजपा को रुद्रपुर में स्थापित करने वाले पूर्व पालिकाध्यक्ष सुभाष चतुर्वेदी ने जेल में उनके साथ बिताए लम्हों को कुछ ऐसे ही साझा किया। कहा अटल जी के गीतों ने हौसला टूटने नहीं दिया।

By Sunil NegiEdited By: Published: Fri, 17 Aug 2018 02:05 PM (IST)Updated: Sat, 18 Aug 2018 09:00 AM (IST)
खुद सलाखों में कैद मगर आजाद थे अटल के इरादे
खुद सलाखों में कैद मगर आजाद थे अटल के इरादे

नैनीताल, [जेएनएन]: नैनी जेल में हम अटल बिहारी के साथ कैद थे पर उनके गीतों ने हौसला टूटने नहीं दिया। जेल की वे सलाखें और उनके बीच अटल का वह विश्वास गजब का था। जब-जब कार्यकर्ता हताश होते, वह अपनी कविता की पंक्तियां गुनगुनाकर सभी में जोश भर देते थे। लगा ही नहीं कि किसी जेल में कैद हैं।

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आठ दिन में कार्यकर्ताओं को राजनीति का ककहरा और जिंदगी का फलसफा सिखा दिया था। भाजपा को रुद्रपुर में स्थापित करने वाले पूर्व पालिकाध्यक्ष सुभाष चतुर्वेदी ने जेल में उनके साथ बिताए लम्हों को कुछ ऐसे ही साझा किया।

1954 में जनसंघ के जमने के बाद सुभाष चतुर्वेदी की मुलाकात अटल बिहारी वाजपेयी से हुई थी। 83 वर्ष के सुभाष बताते हैं कि उस वक्त अटल बिहारी वाजपेयी जनसंघ की रीढ़ थे। वैसे तो हर बार कोई न कोई अभियान चलाकर कार्यकर्ता प्रदर्शन करते थे, लेकिन 1974 का वह अभियान आज भी याद है। लखनऊ में जयप्रकाश नारायण ने संपूर्ण क्रांति अभियान चलाया था। 

चूंकि अटल बिहारी इसका नेतृत्व कर रहे थे तो जेल अधिकारी भी सक्रिय हो गए। कहा कि इस सत्याग्रह अभियान में काफी हंगामा हुआ था। उस वक्त तीन लोगों की गिरफ्तारी हुई थी, जिनमें रमेश शुक्ला, चमन लाल और वह खुद थे। अटल जी के साथ कार्यकर्ताओं को जेल अधिकारियों ने चारों तरफ से घेर कर बस में बैठा लिया था और सभी को गिरफ्तार कर लिया था। 

गिरफ्तारी के बाद आठ दिन के लिए नैनी जेल इलाहाबाद में उनको नजदीक से जानने का मौका मिला। उनके दृढ़ संकल्प और मजबूत इरादों ने जेल की सलाखों में भी जोश भर दिया था। कहा कि वह अक्सर भोजन करने के बाद एक गीत जयप्रकाश का बिगुल बजा...देखे सत्ता कितनी बौखलाई है, सुनाकर कार्यकर्ताओं में जोश भर देते थे। जेल के अंदर कैद थे पर अटल के इरादे काफी आजाद थे। जेल के अधिकारी भी उनके तेज के आगे नहीं टिक पाते थे।

एनडी के साथ नैनीताल आए थे अटल

उक्रांद के पूर्व केंद्रीय अध्यक्ष डॉ. नारायण सिंह जंतवाल के अनुसार मार्च 2002 में तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी नैनीताल आए तो तत्कालीन सीएम एनडी तिवारी भी उनके साथ हेलीकॉप्टर में साथ आए। जंतवाल के अनुसार वह बहुत थके हुए थे तो उन्होंने सीढिय़ों से उतरते समय राजभवन की दूरी भी एनडी से पूछी थी। जंतवाल बताते हैं कि राजभवन तक साथ जाने के बाद एनडी उसी दिन लौट गए।

 नैनीताल के पूर्व सांसद डॉ. महेंद्र पाल बताते हैं कि 2002 में जब तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी जब नैनीताल आए थे, तो तत्कालीन मुख्यमंत्री एनडी तिवारी ने सेंट जोजफ कॉलेज के मैदान पर वाजपेयी का स्वागत किया। सांसद पाल के अनुसार किन्हीं कारणों से वह वाजपेयी के स्वागत में नहीं जा पाए तो एनडी ने इसके लिए नाराजगी भी जताई। इधर राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार वाजपेयी से निकटता की वजह से एनडी केंद्र से राज्य के लिए भरपूर मदद प्राप्त करने में सफल रहे।

अतीत के पन्नों में दर्ज है गांधी पार्क का वो हंगामा

शहर का गांधी पार्क कई स्मृतियों का गवाह है। इनमें राज्य बनने से पूर्व का वह प्रदर्शन और हंगामा भी शामिल है, जो पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की मौजूदगी मेें हुआ था। 1996 में यूकेडी कार्यकर्ताओं के वाजपेयी को काले झंडे दिखाने पर भाजपा कार्यकर्ता आग बबूला हो गए थे। खींचातानी और हंगामे के बीच कई की गिरफ्तारी भी हुई थी। यूकेडी कार्यकर्ता अटल बिहारी वाजपेयी की जनसभा का विरोध कर रहे थे।  

अटल बिहारी वाजपेयी भले ही एक बार रुद्रपुर आए हों, लेकिन शहर के लोगों में उनसे सीधा जुड़ाव देखने को मिलता है। यादों में खोते हुए पूर्व मंत्री तिलक राज बेहड़ बताते हैं कि उस वक्त वह भाजपा के विधायक थे। उस दौर में पृथक उत्तराखंड राज्य के लिए संघर्ष चरम पर था। यूकेडी ने यहां अटल की जनसभा के विरोध का ऐलान कर दिया था। लेकिन रुद्रपुर में अटल जी की सभा हुई थी। हालांकि यूकेडी कार्यकर्ता इस दौरान काफी उग्र थे। अटल जी को काले झंडे दिखाने पर बात बिगड़ गई और भाजपा और यूकेडी आमने-सामने आ गए। दोनों दलों के कार्यकर्ताओं के बीच लाठियां भी चलीं और कई की गिरफ्तारी हुई। हालांकि इसके बाद भी अटल जी ने सभा शांतिपूर्ण निपटाई और चले गए। अटल राज्य की स्थापना के समर्थक थे और उन्हीं के प्रधानमंत्री रहते उत्तराखंड की स्थापना हुई।

अटल का जीवन खुली किताब : बेहड़

पूर्व मंत्री तिलकराज बेहड़ का कहना है कि अटल बिहारी वाजपेयी ने धर्म, जाति, संप्रदाय से ऊपर उठकर काम किया। उनकी सोच हमेशा राष्ट्र की सोच रही। इतना ही नहीं, देश की राजनीति में वह पितामाह के रूप में गिने जाते थे। उन्होंने विपक्ष की राजनीति की, पर विरोध की राजनीति कभी नहीं की। प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने देश का सम्मान बढ़ाया। उनका जीवन खुली किताब था।

औद्योगिक पैकेज अटल की ही देन

रुद्रपुर में सिडकुल अटल बिहारी वाजपेयी की ही देन हैं। प्रधानमंत्री रहते उन्होंने औद्योगिक पैकेज देकर यहां औद्योगिक घरानों को आने पर विवश कर दिया। टाटा, बजाज, नेस्ले, पारले, ब्रिटानिया और टाइटन जैसी बड़ी कंपनियों ने यहां उद्योग स्थापित किए। 

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