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दो दिन रहेगी अपरा एकादशी, 6 जून को व्रत व पूजन करेंगे विष्णु भक्त

महाभारत भविष्यपुराण में बताया गया है कि अपरा एकादशी का व्रत व पूजन करने से जाने-अनजाने हुए पाप खत्म हो जाते हैं। प्राचार्य डा. नवीन चंद्र जोशी ने बताया कि अपरा एकादशी तिथि शनिवार सुबह शुरू हो जाएगी और रविवार को सूर्योदय के बाद तक रहेगी।

By Prashant MishraEdited By: Published: Sat, 05 Jun 2021 08:40 AM (IST)Updated: Sat, 05 Jun 2021 08:40 AM (IST)
दो दिन रहेगी अपरा एकादशी, 6 जून को व्रत व पूजन करेंगे विष्णु भक्त
भगवान की स्तुति करने से सुख-समृद्धि मिलती है और हर तरह के संकटों से भी मुक्ति मिलती है।

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : ज्येष्ठ मास के कृष्णपक्ष की एकादशी जिसे अपरा या अचला एकादशी के नाम से जाना जाता है इस बार 6 जून को रहेगी। महाभारत, भविष्यपुराण में बताया गया है कि अपरा एकादशी का व्रत व पूजन करने से जाने-अनजाने हुए पाप खत्म हो जाते हैं। श्री महादेव गिरि संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य डा. नवीन चंद्र जोशी ने बताया कि अपरा एकादशी तिथि शनिवार सुबह शुरू हो जाएगी और रविवार को सूर्योदय के बाद तक रहेगी। एकादशी तिथि दो दिन तक सूर्योदय के समय रहे तो दूसरे दिन व्रत-पूजा व स्नान-दान आदि करना चाहिए।

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आरोग्य देने वाली अपरा एकादशी

अपरा एकादशी का व्रत ज्येष्ठ महीने के विशेष फल देने वाले व्रतों में एक माना गया है। इस व्रत से भगवान विष्णु की विशेष कृपा मिलती है। इस व्रत के प्रभाव से दुश्मनों पर जीत मिलती है। साथ ही आरोग्य भी मिलता है। नियम और विधि से भगवान की स्तुति करने से सुख-समृद्धि मिलती है और हर तरह के संकटों से भी मुक्ति मिलती है।

कई यज्ञों के बराबर मिलता फल

पांडवों ने अपरा एकादशी की महिमा भगवान श्रीकृष्ण के मुख से सुनी थी। श्रीकृष्ण के मार्गदर्शन में इस व्रत को करके पांडवों ने महाभारत युद्ध में विजय हासिल की थी। एकादशी व्रत को करने से कई यज्ञों का फल भी मिलता है। इस दिन वामन देवता की पूजा करने से विशेष पुण्य मिलता है। भगवान विष्णु को एकादशी बहुत ही प्रिय है। एकादशी व्रत रखने वाले भक्तों पर वह विशेष कृपा रखते हैं। इस बार जून महीने में दो दिन एकादशी की तिथि पड़ने से भक्तों को विशेष लाभ मिलेगा। व्रत से शरीर के अंदर संतुलन रहता है। यह एक प्रकार से शारीरिक शुद्धि की बहुत ही प्राचीन भारतीय परंपरा है। व्रत से कफ, पित्त और वात में जो गड़बड़ी होती है वह सुधर जाती है। एकादशी व्रत महीने में दो बार आता है। हर 15 दिन व्रत से शरीर लयबद्ध हो जाता है। साथ ही शरीर के आंतरिक अंगों की सफाई के साथ ही आराम भी मिलता है।

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