राज्य कर विभाग के 37 अफसरों से मांगा जवाब
जागरण संवाददाता, नैनीताल : हाई कोर्ट ने राज्य कर विभाग में दस हजार करोड़ कर चोरी के कथित घपले के माम
जागरण संवाददाता, नैनीताल : हाई कोर्ट ने राज्य कर विभाग में दस हजार करोड़ कर चोरी के कथित घपले के मामले में मुख्य सचिव, सचिव वित्त, सचिव राजस्व, मुख्य राजस्व आयुक्त, डीजी आयकर लखनऊ, सीबीआई निदेशक दिल्ली समेत 37 अफसरों को छह सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही छह विपक्षियों से जवाब दाखिल करने को कहा है। इसके अलावा याचिकाकर्ता को भी छह सप्ताह में एक लाख की रकम हाई कोर्ट में जमा करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने याचिकाकर्ता के गरीब होने की वजह से रकम जमा करने राहत देने के आग्रह को ठुकरा दिया है। अगली सुनवाई छह सप्ताह बाद नियत की है।
सोमवार को वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की खंडपीठ के समक्ष रुड़की हरिद्वार निवासी धर्मेद्र सिंह की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि राज्य कर विभाग के अफसरों ने उद्योग लगाने के एवज में औद्योगिक घरानों व उद्योगपतियों से हजार करोड़ टैक्स के रूप में वसूले, जो सरकार के खाते में नहीं गए। यह अफसर सरकार को हर साल दस हजार करोड़ का चूना सरकार को लगा रहे हैं। पूर्व में ट्रेड टैक्स कमिश्नर द्वारा पांच अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया था, मगर सरकार द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसमें असिस्टेंट कमिश्नर विनय कुमार, डिप्टी कमिश्नर पीपी शुक्ला, पीएस डुंगरियाल, शिवेंद्र प्रताप सिंह, पीएस नगन्याल शामिल थे। राज्य सूचना आयोग की ओर से संयुक्त आयुक्त नवीन जोशी के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए थे मगर सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की। कोर्ट ने मामले में अगली सुनवाई छह सप्ताह बाद नियत की गई है।
सरकार ने निलंबित अफसर को बताया याचिका का सूत्रधार
खंडपीठ में सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर द्वारा सरकार की ओर से वित्त सचिव अमित नेगी का जवाब दाखिल किया गया। जिसमें याचिका में लगाए गए आरोपों को गलत व बेबुनियाद करार दिया है। जवाब में कहा गया है कि याचिका विभाग के निलंबित अफसर अनिल कुमार द्वारा प्रायोजित है, साथ ही याची के खिलाफ उत्तर प्रदेश में कर चोरी का मामला विचाराधीन है। महाधिवक्ता ने अदालत से जुर्माने के साथ याचिका खारिज करने की मांग की।