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पूर्व सीएम हरीश रावत का एक और विस्फोटक पोस्ट...उत्तराखंड कांग्रेस में सामूहिकता को लेकर उठाया सवाल

उत्तराखंड कांग्रेस में मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने इस संदर्भ को लेकर एक और पोस्ट कर पार्टी के अंदरूनी कलह को बढ़ा दिया है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Wed, 13 Jan 2021 11:37 AM (IST)Updated: Wed, 13 Jan 2021 11:41 AM (IST)
पूर्व सीएम हरीश रावत का एक और विस्फोटक पोस्ट...उत्तराखंड कांग्रेस में सामूहिकता को लेकर उठाया सवाल
पूर्व सीएम हरीश रावत का एक और विस्फोट पोस्ट...पार्टी में सामूहिता को लेकर उठाया सवाल

नैनीताल, जागरण संवाददाता : उत्तराखंड कांग्रेस में मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने इस संदर्भ को लेकर एक और पोस्ट कर पार्टी के अंदरूनी कलह को बढ़ा दिया है। हरदा के इस पोस्ट के बाद नेतृत्व को लेकर पार्टी के अंदर चल रहा अंतरकलह अब अौर गहराने की संभावना है। हरदा ने साफ सवाल उठाया है कि अचानक से सामूहिकता की याद कैसे आ रही है। संठनात्मक ढांचें में बदलाव के लिए जब सामूहिता का पालन नहीं हुआ, पार्टी के अधिकारिक पोस्टरों से मेरा चेहरा और नाम हटाया गया, यहां तक कि पार्टी के कार्यक्रमों में मुझे मंचों पर स्थान देने को लेकर संशय बना रहा तब तो सामूहिकता की याद नहीं आई। फिर अब यह स्थिति क्यों बनी है? हरदा के इस पोस्ट के बाद अब पार्टी का अंदरूनी कलह बढ़ना तय है। हरदा के इस पोस्ट के के बाद कमेंट को पोस्ट करने वालों की बाढ़ आ गई है। नीचे शब्दश: उनका आज का पोस्ट दिया जा रहा है। पढ़ें...    

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मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित होने को लेकर संकोच कैसा? यदि मेरे सम्मान में यह संकोच है तो मैंने स्वयं अपनी तरफ से यह विनती कर ली है कि जिसे भी मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित कर दिया जायेगा मैं, उसके पीछे खड़ा रहूंगा। रणनीति के दृष्टिकोण से भी आवश्यक है कि हम भाजपा द्वारा राज्यों में जीत के लिये अपनाये जा रहे फार्मूले का कोई स्थानीय तोड़ निकालें। स्थानीय तोड़ यही हो सकता है कि भाजपा का चेहरा बनाम कांग्रेस का चेहरा, चुनाव में लोगों के सामने रखा जाय ताकि लोग स्थानीय सवालों के तुलनात्मक आधार पर निर्णय करें। मेरा मानना है कि ऐसा करने से चुनाव में हम अच्छा कर पाएंगे, फिर सामूहिकता की अचानक याद क्यों? जो व्यक्ति किसी भी निर्णय में, इतना बड़ा संगठनात्मक ढांचा है पार्टी का, उस ढांचे में कुछ लोगों की संस्तुति करने के लिए भी मुझे AICC का दरवाजा खटखटाना पड़ता है, उस समय सामूहिकता का पालन नहीं हुआ है और मैंने उस पर कभी आवाज नहीं उठाई है, पार्टी के अधिकारिक पोस्टरों में मेरा नाम और चेहरा स्थान नहीं पा पाया, मैंने उस पर भी कभी कोई सवाल खड़ा नहीं किया! यहां तक की मुझे कभी-कभी मंचों पर स्थान मिलने को लेकर संदेह रहता है तो मैं, अपने साथ अपना मोड़ा लेकर के चलता हूं ताकि पार्टी के सामने कोई असमंजस न आये तो आज भी मैंने केवल असमंजस को हटाया है, तो ये दनादन क्यों?

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