Move to Jagran APP

अनादि माझी का परिवार 40 साल से बना रहा मिट्टी की मूर्तियां, जोधपुर से मंगाते हैं लाल मिट्टी

देश की विभिन्न संस्कृतियों व लोक कलाओं की महक ऊधमसिंह नगर की मिट्टी से आ रही है। जिसमें जोधपुर गोरखपुर दिल्ली कलकत्ता बरेली महाराष्ट्र आदि की सांस्कृतिक धरोहर मौजूद है। सजीव दिख रही इन लोक कलाओं को देखकर लोग जीवंतता महसूस करते हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 04 Dec 2020 03:18 PM (IST)Updated: Fri, 04 Dec 2020 04:35 PM (IST)
अनादि माझी का परिवार 40 साल से बना रहा मिट्टी की मूर्तियां, जोधपुर से मंगाते हैं लाल मिट्टी
अनादि माझी का परिवार 40 साल से बना रहा मिट्टी की मूर्तियां, जोधपुर से मंगाते हैं लाल मिट्टी

रुद्रपुर, मनीस पांडेय : देश की विभिन्न संस्कृतियों व लोक कलाओं की महक ऊधमसिंह नगर की मिट्टी से आ रही है। जिसमें जोधपुर, गोरखपुर, दिल्ली, कलकत्ता, बरेली, महाराष्ट्र आदि की सांस्कृतिक धरोहर मौजूद है। सजीव दिख रही इन लोक कलाओं को देखकर लोग जीवंतता महसूस करते हैं। यही कारण है कि घर की सजावट के लिए लोग इन्हें बहुत शौक से खरीद रहे हैं। जबकि कई कलाकृतियां इस तरह की भी हैं कि उन्हें उपयोगी सामान की तरह घर में सजाया जा सकता है।

loksabha election banner

ऊधमसिंह नगर के कुसुमोठ, शक्तिफार्म, सितारगंज निवासी अनादि माझी ने पढ़ाई के साथ ही लोक कलाकृतियों के बीच अपना बचपन गुजारा है। 30 वर्षीय अनादि ने बताया कि उनका पूरा परिवार बीते 40 साल से इन कलाकृतियों को बना रहा है। जिसमें गोरखपुर की लोक कला पर आधारित कलात्मक ऊंट, हाथी, घोड़े व हैंगिंग लालटेन आदि मौजूद है। राजस्थान की विभिन्न मूर्तियां, महाराष्ट्र की देव प्रतिमाएं आदि मौजूद हैं। दिल्ली व मुंबई का मॉडर्न आर्ट तथा कलकत्ता की कलाकृतियां भी इसमें उपलब्ध हैं। जबकि विभिन्न संस्कृतियों पर आधारित यह सामान सितारगंज के शक्तिफार्म में ही तैयार होता है। जिसे दुकानें लगाकर व प्रदर्शनियों के जरिए देश के विभिन्न हिस्सों में बेंचा जा रहा है।

100 रुपये से शुरुआत

मूर्तियां व कलाकृतियों की बात की जाए तो इनका दाम कम से कम 100 रुपये है। वहीं अधिकतम मूल्य तीन हजार रुपये तक का है। फेंगुशुई के कछुए 400 रुपये के, छोटी मूर्तियां 600, फ्लावर पॉट 800 रुपये, राजस्थानी प्रतिमा 900, गोरखपुरी लालटेन 250, महात्मा बुद्ध की बड़ी प्रतिमा 2500 रुपये में है। इसके अतिरिक्त बैठने का मोढ़ा या स्टूल, वाल हैंगिंग पेंटिंग, झूमर, गमले आदि भी तैयार किए जा रहे हैं। जिसे नैनीताल रोड व काशीपुर बाइपास आदि जगहों से खरीदा जा सकता है।

मजबूत है यह मिट्टी

टेराकोटा व ऊधमसिंह नगर के जंगलों की मिट्टी से बनी यह कलाकृतियां काफी मजबूत हैं। अनादि माझी ने बताया कि जोधपुर से लाल मिट्टी मंगाई जाती है, जिसमें खटीमा व सितारगंज के जंगल से लाई मिट्टी मिलाई जाती है। विभिन्न प्रकार के सांचे में ढाल कर कलाकृतियों को आकार दिया जाता है।

सबकी भूमिका है अलग

कलाकृतियों को तैयार करने में पूरा मांझी परिवार मिलकर कार्य कर रहा है। अनादि ने बताया कि उनके पिताजी कलाकृतियों के फर्मे या सांचे बनाते हैं। बड़े भाई अभिमन्यु कलाकृतियों को आकार देते हैं और नक्काशी करते हैं। छोटा भाई विप्रो पेंटिंग का कार्य करता है। जबकि अनादि के पास मार्केटिंग की जिम्मेदारी है। इसके अतिरिक्त क्षेत्र की करीब 10 महिलाएं देखरेख व अन्य कार्य में सहयोग कर रही हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.