देहरादून के जिला जज व पूर्व प्रमुख सचिव विधि आलोक वर्मा बने हाईकोर्ट के न्यायाधीश
बुधवार रात को राष्ट्रपति की ओर से सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम की सिफारिश स्वीकार करते हुए उन्हें न्यायाधीश नियुक्त किया है।
नैनीताल, जेएनएन : देहरादून के जिला एवं सत्र न्यायाधीश व पूर्व प्रमुख सचिव विधि आलोक कुमार वर्मा उत्तराखंड हाईकोर्ट के न्यायाधीश बन गए हैं। बुधवार रात को राष्ट्रपति की ओर से सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम की सिफारिश स्वीकार करते हुए उन्हें न्यायाधीश नियुक्त किया है। वर्मा की नियुक्ति के बाद हाईकोर्ट में अधिवक्ता कोटे का एक पद रिक्त रह गया है। वर्मा ने पिथौरागढ़ के प्राकृतिक सौंदर्य से अभिभूत होकर उत्तराखंड विकल्प चुना था।
मूल रूप से उत्तर प्रदेश के पियरी, बनारस निवासी जगदीश प्रसाद वर्मा व जया वर्मा के बेटे आलोक कुमार की प्रारंभिक शिक्षा बनारस में ही हुई। 1990 में उनकी नियुक्ति मुंसिफ के रूप में गाजीपुर में हुई। वह झांसी, गाजीपुर के बाद 1997 में पिथौरागढ़ मुंसिफ बने। यहां का प्राकृतिक सौंदर्य देख उन्होंने 1999 में हरिद्वार में तैनाती के दौरान तय किया कि उत्तराखंड में ही सेवा देंगे। 2003 में उनकी एडीजे पद पर पदोन्नति हुई। वह जिला जज हरिद्वार भी रह चुके हैं। उनके परिवार में पत्नी अंजू व बेटी रुचिता है। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद अब हाई कोर्ट की अधिसूचना के अनुसार शपथ ग्रहण समारोह होगा। बता दें कि नैनीताल हाईकोर्ट में वर्मा के साथ न्यायाधीशों की संख्या दस हो जाएगी। हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश समेत कुल पदों की संख्या 11 है।
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