बार एसोसिएशन काशीपुर के अध्यक्ष पद पर चुनाव में गड़बड़ी का आरोप nainital news
बार एसोसिएशन के सत्र 2020-21 के चुनाव में अध्यक्ष पद पर हुई मतगणना में हारे अध्यक्ष पद प्रत्याशी ने गड़बड़ी का आरोप लगाया है।
काशीपुर, जेएनएन : बार एसोसिएशन काशीपुर के सत्र 2020-21 के चुनाव में अध्यक्ष पद पर हुई मतगणना में हारे अध्यक्ष पद प्रत्याशी ने गड़बड़ी का आरोप लगाया है। उन्होंने चुनाव अधिकारी को पत्र सौंपकर पुनर्मतगणना कराने की मांग की है।
प्रत्याशी संजय चौधरी एडवोकेट ने लगाया है अरोप
अध्यक्ष पद के प्रत्याशी संजय चौधरी एडवोकेट ने आरोप लगाया है कि उन्होंने भी नामांकन किया था। इसके अलावा इंद्र सिंह तथा जयनंदन अग्रवाल ने अध्यक्ष पद पर नामांकन किया था। मंगलवार दोपहर ढ़ाई बजे मतगणना होनी थी। इसके लिए विपक्ष ने अपने अधिकृत प्रतिनिधि सुभाष एडवोकेट को मतगणना एजेंट नियुक्त करके भेजा था। चुनाव में कुल 576 लोगों ने वोट दिए थे। मतगणना पूर्ण होने से पूर्व ही अध्यक्ष पद के दूसरे प्रत्याशी इंद्र सिंह व उनके समर्थक गेट तोड़कर मतगणना हॉल में पहुंचे और वहां चुनाव अधिकारी व अन्य लोगों पर दबाव बनाया। इस दबाव में इंद्र सिंह को एक मत से मतगणना के पूर्व ही विजयी घोषित कर दिया गया। जबकि चुनाव अधिकारी ने कहा कि विपक्ष संजय को 271, इंद्र सिंह को 272 और जयनंदन को 28 मत मिले थे। इसका कुल योग 571 आता है। जबकि मत का प्रयोग 576 वोटर ने किया है। पांच मतों के बारे में किसी को कुछ पता नहीं है।
मतदान कराने में भी हुई धांधली
मतदाता सूची को बार काउंसिल से अनुमति मिलने के बाद भी नोटिस बोर्ड पर चस्पा नहीं किया गया और न ही चुनाव कार्यक्रम में मतदाता सूची का प्रकाशन किया गया। आरोप है कि जयबा रिजवी का नाम वोटर लिस्ट में नहीं था। फिर भी पर्यवेक्षक ने उनका मतदान करा दिया। चुनाव अधिकारी को पुनर्मतगणना के लिए प्रार्थना पत्र देने के बावजूद भी कोई आदेश पारित नहीं किया गया। इस तरह के कार्य भारत के संविधान के मौलिक अधिकार के विपरीत हैं। इसिलए पारदर्शिता बरतते हुए पुनर्मतगणना कराई जाए। प्रार्थना पत्र की प्रतिलिपि अध्यक्ष बार काउंसिल ऑफ उत्तराखंड, नैनीताल, सचिव देहरादून तथा पर्यवेक्षक, नैनीताल को भी भेजी गई है। पर्यवेक्षक महेंद्र ङ्क्षसह पाल का कहना है कि चुनाव होने के बाद घोषणा के लिए समय होना चाहिए, लेकिन रिटर्निंग अफसर ने तुरंत घोषणा कर दी। जिसके बाद हमारे पास पुनर्मतगणना के लिए प्रार्थना-पत्र आया था। घोषणा के बाद हम कुछ नहीं कर सकते हैं।
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