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एचआइवी पीडि़तों को अब एआरटी सेंटरों में भी जांच व इलाज की मिलेगी मुफ्त सुविधा

एचआइवी पीडि़ताें को अब एआरटी सेंटरों में जांच व इलाज की सुविधा मिलेगी। इसके लिए राज्य स्तर से सभी सेंटरों को नेशनल एड्स कंट्रोल आर्गनाइजेशन की गाइड लाइन जारी कर दी गई है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sun, 18 Nov 2018 04:35 PM (IST)Updated: Sun, 18 Nov 2018 04:35 PM (IST)
एचआइवी पीडि़तों को अब एआरटी सेंटरों में भी जांच व इलाज की मिलेगी मुफ्त सुविधा
एचआइवी पीडि़तों को अब एआरटी सेंटरों में भी जांच व इलाज की मिलेगी मुफ्त सुविधा

हल्द्वानी, जेएनएन : एचआइवी से पीडि़त प्रत्येक मरीज को अब एआरटी (एंटी रिट्रोवायरल ट्रीटमेंट) सेंटरों में जांच व इलाज की सुविधा मिलेगी। इसके लिए राज्य स्तर से सभी सेंटरों को नेशनल एड्स कंट्रोल आर्गनाइजेशन की गाइड लाइन जारी कर दी गई है। स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी के स्टेट कोऑर्डिनेटर डॉ. वीएस टोलिया ने बताया कि अभी तक 350 से कम सीडी फोर सेल्स होने पर ही इलाज किए जाने की व्यवस्था थी।

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ये है सीडी फोर सेल्स

खून में सीडी फोर की जांच एक ऐसा टेस्ट है, जो यह बताता है कि खून में कितनी सीडी फोर सेल्स यानी कोशिकाएं मौजूद हैं। यह एक प्रकार की रक्त कोशिकाएं होती हैं। इन्हें टी सेल्स भी कहा जाता है। यह कोशिकाएं खून के माध्यम से पूरे शरीर में घूमती हैं और बैक्टीरिया, वायरस व अन्य रोगाणुओं को नष्ट करती हैं। ये कोशिकाएं रोगों से लड़ती हैं। शरीर में इनकी संख्या कम होने से प्रतिरोधक क्षमता खत्म होने लगती हैं। एचआइवी होने पर इन सेल्स की संख्या कम हो जाती है।

ताकि मरीज एड्स तक न पहुंचे

एचआइवी एक तरह का वायरस है। एड्स इसके बाद की उच्चावस्था है। डॉक्टरों का कहना है कि अगर एचआइवी पीडि़त जिंदगी भर नियमित दवा लेते रहे तो एड्स की स्थिति में पहुंचने से बच सकता है। एड्स रोगी का शरीर संक्रामक बीमारियों के प्रति अपनी प्रतिरोधक क्षमता खो बैठता है।

प्रदेश में पांच हजार मरीजों को मिल रही दवा

स्टेट कोऑर्डिनेटर डॉ. वीएस टोलिया ने बताया कि प्रदेश में वर्तमान में पांच हजार रोगियों को दवा मिल रही है। अब दवा सभी को मिलने लगेगी, तो यह संख्या बढ़ जाएगी। दवाइयों की उपलब्ध भी बढ़ाई जाएगी।

एआरटी सेंटर हल्द्वानी में डॉक्टर न फाॅर्मासिस्ट

डॉ. सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय में एचआइवी मरीजों के लिए खुला एआरटी (एंटी रिट्रोवाइयरल थेरेपी) सेंटर बदहाल है। यहां पर दो साल से न डॉक्टर है और न ही फार्मासिस्ट व स्टाफ नर्स। नाको (नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गनइजेशन) की ओर से भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इस सेंटर में कुमाऊं भर से 1500 रोगी पंजीकृत हैं। जबकि, इस सेंटर में नाको के तहत ही दवाइयां व अन्य जांच सुविधाएं मुफ्त में उपलब्ध कराई जाती हैं। कुमाऊं भर के मरीजों के लिए यही संस्थान हैं, जहां सीडी 4 काउंट की जांच होती है।

भारत सरकार को लिखा गया है पत्र

डॉ. अशोक कुमार, इंचार्ज, एआरटी सेंटर, एसटीएच ने बताया कि एआरटी सेंटर में डॉक्टर, फार्मासिस्ट, स्टाफ नर्स व दवाइयां उपलब्ध कराने के लिए नाको को 10 से अधिक बार पत्र लिख दिया है। अब भारत सरकार को ही पत्र लिखने को मजबूर हैं। अभी तक व्यवस्था नहीं होने से मरीजों को परेशानी हो रही है।

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