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Karwa Chauth 2021 : आठ साल बाद रोहिणी नक्षत्र में उदय होगा करवाचौथ का चंद्रमा, चंद्रमा-सूर्य के साथ गणेशजी का मिलेगा आशीर्वाद

Karwa Chauth 2021 इस दिन संकष्टि गणेश चतुर्थी भी रहेगी। ऐसे में सुहागिनों को करवाचौथ पर चंद्रमा गणेशजी के साथ सूर्यदेव का भी आशीर्वाद मिलेगा। ज्योतिषाचार्य डा. नवीन चंद्र जोशी ने बताया कि ऐसा संयोग आठ वर्ष बाद बन रहा है।

By Prashant MishraEdited By: Published: Sat, 23 Oct 2021 06:58 AM (IST)Updated: Sat, 23 Oct 2021 07:43 PM (IST)
Karwa Chauth 2021 : आठ साल बाद रोहिणी नक्षत्र में उदय होगा करवाचौथ का चंद्रमा, चंद्रमा-सूर्य के साथ गणेशजी का मिलेगा आशीर्वाद
पूजा का विशेष मुहूर्त शाम सात बजे शुरू होकर रात पौने 11 बजे तक रहेगा।

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : अखंड सुहाग का प्रतीक करवाचौथ व्रत इस बार खास होने वाला है। 24 अक्टूबर को मनाया जाने वाले पर्व का रात में चंद्र दर्शन व पूजा के साथ पारायण होगा। इस बार सूर्य प्रधान रोहिणी नक्षत्र में चंद्रोदय होगा। रविवार के योग में पर्व आने से दिन भी सूर्य प्रधान रहेगा। इस दिन संकष्टि गणेश चतुर्थी भी रहेगी। ऐसे में सुहागिनों को करवाचौथ पर चंद्रमा, गणेशजी के साथ सूर्यदेव का भी आशीर्वाद मिलेगा। ज्योतिषाचार्य डा. नवीन चंद्र जोशी ने बताया कि ऐसा संयोग आठ वर्ष बाद बन रहा है। भगवान गणेश का दिन होने से यह दिवस मंगलकारी रहेगा। पूजा का विशेष मुहूर्त शाम सात बजे शुरू होकर रात पौने 11 बजे तक रहेगा। चंद्रदर्शन के बाद पूजा करते हुए व्रत खोलना चाहिए।  

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आसन पर गौरी-गणेश की स्थापना करें

ज्योतिषाचार्य मंजू जोशी ने बताया कि करवाचौथ की सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए। मंदिर की दीवार पर पूजा पट लगाएं या गेरु, चावल के घोल आदि से करवा चित्र बनाएं। शुद्ध मिट्टी से गौरी-गणेशजी प्रतिमा बनाएं और आसन रखकर दोनों की स्थापना करें। करवा लें और उसमें गेहूं व ढक्कन में शक्कर का बूरा भर दें। रोली से करवा पर स्वास्तिक बनाएं। गौरी-गणेश व करवा की पूजा करें। फिर 'नम: शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभां?, प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभेÓ मंत्र का जाप कर पति की दीर्घायु की कामना करें। करवा चौथ की कथा सुनें। सास से आशीर्वाद लेकर करवा उन्हें दे दें। रात में छलनी की ओट से चंद्र दर्शन करें और अघ्र्य दें। पति से आशीर्वाद लें।

चंद्रमा न दिखे तब भी कर सकते हैं पूजन

ज्योतिषाचार्य मंजू जोशी ने बताया कि सूर्य व चंद्रमा कभी अस्त नहीं होते। पृथ्वी के घूमने की वजह से बस दिखाई नहीं देते। ज्योतिषीय गणना की मदद से चंद्रोदय का समय निकाला जाता है। भौगोलिक स्थिति या मौसम खराब होने की वजह से कई बार चांद नहीं दिखाई देता, फिर देर से दिखाई देता है। ऐसे में पूजा को लेकर संशय रहता है। ऐसे वक्त में पंचांग या पंडित के बताए अनुसार समय में चंद्रमा निकलने की दिशा में पूजा कर अघ्र्य देना चाहिए।


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