बेस में हर दूसरे दिन पहुंच रहा ब्रेन स्ट्रोक का एक मरीज
जासं हल्द्वानी जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों में ब्रेन स्ट्रोक भी है। जिसका कारण हाइपरटेंशन डायबिटीज कोलस्ट्राल व दिल की बीमारियां हैं।
जासं, हल्द्वानी : जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों में ब्रेन स्ट्रोक भी है। जिसका कारण हाइपरटेंशन, डायबिटीज, कोलस्ट्राल व दिल की बीमारियां हैं। वैसे तो यह बीमारी ठंड में भी असर दिखाती है, लेकिन कोरोना मरीजों के लिए भी यह खतरनाक है। इस समय हालात यह हैं कि बेस अस्पताल में न्यूरोसर्जन की ओपीडी में हर दूसरे दिन एक मरीज मरीज ब्रेन स्ट्रोक का पहुंच रहा है। ऐसे में चिकित्सा विशेषज्ञों की सलाह है कि खतरे को टालने के लिए उचित सावधानी बरती जाए। समय पर इलाज मिल गया तो बीमारी को नियंत्रित करना संभव है। बचाव को व्यायाम व अच्छा भोजन जरूरी: डा. अभिषेक
एसटीएच के न्यूरोसर्जन डा. अभिषेक राज इस समय बेस अस्पताल में ओपीडी कर रहे हैं। उनका कहना है कि कुमाऊं में भी ब्रेन स्ट्रोक के मामले बढ़े हैं। बेस अस्पताल में हर दूसरे दिन ब्रेन स्ट्रोक के एक मरीज का आना इस बात का सूचक है कि लोगों को अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है। क्योंकि यह बीमारी हाइपरटेंशन, डायबिटीज, कोलस्ट्राल, दिल की बीमारियों की वजह से होती है। इन बीमारियों को हम खुद कंट्रोल कर सकते हैं। समय पर दवाइयां लेने के साथ ही नियमित व्यायाम व अच्छा भोजन जरूरी है। एक्ट फास्ट का रखें ध्यान: डा. लक्ष्मीकांत
वरिष्ठ न्यूरोलाजिस्ट डा. लक्ष्मीकांत जोशी कहते हैं कि कोविड में भी स्ट्रोक का खतरा रहता है। इसलिए सावधानी जरूरी है। अगर किसी को ब्रेन स्ट्रोक पड़ गया हो, उसमें मुंह लड़खड़ाना, हाथ में कमजोरी, बोलने में दिक्कत होने लगे तो तत्काल डाक्टर से मिलना चाहिए। इसे एक्ट फास्ट कहते हैं। ऐसे में बीमारी को नियंत्रित करने की संभावना बढ़ जाती है। बीमारी को न किया जाए नजरअंदाज: डा. बजाज
साई अस्पताल के न्यूरोसर्जन डा. अजय बजाज का कहना है कि दिमाग के किसी भाग में रक्त की आपूर्ति बाधित होने से ब्रेन स्ट्रोक का खतरा रहता है। इससे खून के थक्के बन जाते हैं। समय पर इलाज न मिलने से मरीज की मौत भी हो जाती है। आज विश्व में आठ करोड़ लोग स्ट्रोक से ग्रस्त हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 25 फीसद ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों की उम्र 40 वर्ष हैं। इसलिए बीमारी को नजरअंदाज न किया जाए। इन बातों का रखें ध्यान
- शराब व धूमपान का सेवन न करें
- तली-भुनी चीजों को न खाएं
- निष्क्रिय जीवनशैली से बचें
- व्यायाम को जीवन का हिस्सा बनाएं
- बीपी, शुगर, कोलस्ट्राल को कंट्रोल करें