82 वर्षीय डॉक्टर सरोज मोहन ने हल्द्वानी मेडिकल काॅलेज को दान की देह
द्वाराहाट निवासी डाॅ. सरोज मोहन पलाधी ने अनूठी पहल की है। उन्होंने देहदान कर जनमानस को भी पुनीत कार्य के लिए प्रेरित किया है। 82 वर्षीय यह डॉ. पलाधी आज भी कुमाऊं व गढ़वाल के लोगों के उपचार में शिद्दत से जुटा है।
द्वाराहाट, जेएनएन : अल्मोड़ा जिले के द्वाराहाट निवासी डाॅ. सरोज मोहन पलाधी ने अनूठी पहल की है। उन्होंने देहदान कर जनमानस को भी पुनीत कार्य के लिए प्रेरित किया है। 82 वर्षीय यह डॉ. पलाधी आज भी कुमाऊं व गढ़वाल के लोगों के उपचार में शिद्दत से जुटा है। साथ ही अल्मोड़ा मेडिकल कालेज में विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती के लिए मार्मिक अपील भी की है।
1980 से द्वाराहाट में चिकित्सा सेवा दे रहे डा. पलाधी के देहदान करने की औपचारिकताएं पूरी हो चुकी हैं। मेडिकल कालेज हल्द्वानी का पत्र भी उनके पास पहुंच चुका है। उनके पिता चिकित्सक पद पर नियुक्ति पाकर अविभाजित बंगाल से कुमाऊं पहुंचे थे। बैजनाथ के बाद लोहाघाट, चौखुटिया में सेवाएं देने के बाद द्वाराहाट बस गए। पिता के नक्शेकदम पर चलते हुए सरोज मोहन ने भी एमबीबीएस किया। 1959 में पंतनगर में पहली नियुक्ति हुई। इसके बाद सीजीएचएस कानपुर और 1979 तक इलाहाबाद में सेवाएं दी।
वहां से इस्तीफा दे 1980 में द्वाराहाट स्थित अपने पैतृक आवास में निजी सेवा का कार्य शुरू किया, जो आज तक अनवरत जारी है। उन्होंने बताया कि देहदान करने की प्रेरणा चौखुटिया के डा लक्ष्मण सिंह मनराल से मिली। डा सरोज मोहन पलाधी के दो पुत्र व बहू भी वर्तमान में चिकित्सक हैं। इस कार्य के लिए मेडिकल काॅलेज ने डा. पलाधी की पहल को सराहनीय बताते हुए आभार जताया है।
शासन प्रशासन से की अपील
चुनौतियों के दौर से गुजर रहे अल्मोड़ा मेडिकल कालेज को मान्यता की पुरजोर वकालत करते हुए डा. पलाधी ने वहां विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती पर खास जोर दिया है। उनका तर्क है कि अल्मोड़ा मेडिकल कालेज के मूर्तरूप लेने से पर्वतीय जिलों को जहां बड़ा लाभ होगा। वहीं पहाड़ को एक नई पहचान भी मिलेगी। उन्होंने अपनी अपील में कहा है कि 1928 में उनके पिता डा. मनमथ नाथ पलाधी ने बंगाल से आकर जिला परिषद बैजनाथ गरुड़ (बागेश्वर) स्थित चिकित्सा केंद्र में तैनाती ली थी। उसी प्रकार अन्य चिकित्सक भी पहाड़ आकर सेवा प्रदान करें।