आपदा के कारण ऊधमसिंह नगर जिले में 45 हजार हेक्टेयर धान की फसल बर्बाद
बारिश व बाढ़ के चलते धान की तैयार फसल आपदा की भेंट चढ़ गई। कुमाऊं में करीब 46 हजार हेक्टेयर फसल बारिश से प्रभावित हुई है। इसमें से धान का कटोरा कहे जाने वाले ऊधमसिंह नगर जिले में ही 45 हजार हेक्टेयर में खेती को नुकसान पहुंचा है।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : बारिश व बाढ़ के चलते धान की तैयार फसल आपदा की भेंट चढ़ गई। कुमाऊं में करीब 46 हजार हेक्टेयर फसल बारिश से प्रभावित हुई है। इसमें से 'धान का कटोरा' कहे जाने वाले ऊधमसिंह नगर जिले में ही 45 हजार हेक्टेयर में खेती को नुकसान पहुंचा है।
उत्तराखंड में 18, 19 व 20 अक्टूबर को भारी बारिश के दौरान कटने को तैयार फसल खेत में ही गिर गई। जलभराव के चलते फसल की तने कमजोर हो गए। जिससे 15 से 30 फीसद तक धान की फसल नष्ट हो गई। वहीं पहले से कटा धान खेत में सूखने के लिए छोड़ा गया था। वह भी 50 से 90 फीसद खराब हो गया। पानी में भीगने से धान में अंकुरण भी हो गया है। बचे हुए दाने काले पडऩे से उनकी गुणवत्ता में कमी आई है। संयुक्त निदेशक कृषि पीके सिंह ने बताया कि विभागीय अधिकारियों ने नजरी सर्वे कर प्रारंभिक आकलन किया है। अब गांव में जाकर कृषि भूमि का वास्तविक सर्वे राजस्व टीम के साथ चल रहा है।
ऊधम सिंह नगर में 45 हजार हेक्टेयर धान की खेती प्रभावित
तराई को धान का कटोरा भी कहा जाता है। कुमाऊं में बारिश व आपदा से सबसे ज्यादा नुकसान ऊधम सिंह नगर को हुआ है। ऊधमसिंह नगर में करीब 45 हजार हेक्टेयर भूमि से धान की कटाई नहीं हो सकी थी। ऐसे में खड़ी फसल में जलभराव से समस्या हुई है। सबसे ज्यादा नुकसान खटीमा, नानकमत्ता, सितारगंज आदि क्षेत्रों में हुई है। वहीं रुद्रपुर, काशीपुर, गदरपुर, बाजपुर आदि क्षेत्रों में भी किसानों को नुकसान उठाना पड़ा है। नैनीताल जिले के हल्द्वानी, रामनगर, कोटाबाग, कालाढूंगी, बिंदुखत्ता, लालकुआं आदि क्षेत्रों में धान की करीब 680 हेक्टेयर फसल को नुकसान पहुंचा है। चंपावत में 116 हेक्टेयर व अल्मोड़ा में करीब 18 हेक्टेयर धान की फसल प्रभावित है। जबकि बागेश्वर व पिथौरागढ़ में अधिकांश फसल पहले ही कट चुकी थी। जिससे आंशिक नुकसान हुआ है।
टमाटर में फफूंद, आलू जलभराव से खराब
भारी बारिश से टमाटर में काला फफूंद व आलू में जलजमाव से बीज सडऩे की समस्या हुई है। बीन्स, शिमला मिर्च की फसल भी प्रभावित है। सरसों व मटर आदि की बुआई होने पर पौधे निकलने की उम्मीद भी कम रह गई है।
18 हजार प्रति हेक्टेअर मुआवजा
बारिश व आपदा से 33 फीसद से अधिक हुए नुकसान में फाइनल सर्वे के बाद किसानों को मुआवजा भी दिया जाना है। बागवानी फसलों के नुकसान की स्थिति में 18 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर व न्यूनतम दो हजार रुपये मुआवजा दिया जाएगा। संयुक्त कृषि निदेशक पीके सिंह ने बताया कि सिंचित भूमि में 13500 व असिंचित में 6800 रुपये प्रति हेक्टेयर के हिसाब से मुआवजा निर्धारित है। कम से कम एक हजार रुपये मुआवजा प्रत्येक प्रभावित किसान को दिया जाएगा।