पहली बार एडमिशन लेने वाले 30 हजार बच्चों ने नहीं देखा स्कूल, टीचर को भी सिर्फ मोबाइल में देखा
शहर के 30 हजार से ज्यादा बच्चों व उनके अभिभावकों के लिए यह मुश्किल भरा समय है। पिछले दो साल में पहली बार एडमिशन लेने वाले नर्सरी के 30 हजार बच्चे अब तक अपना स्कूल देख नहीं पाए हैं।
हल्द्वानी, गणेश पांडे : शहर के 30 हजार से ज्यादा बच्चों व उनके अभिभावकों के लिए यह मुश्किल भरा समय है। किसी ने भी कल्पना नहीं की थी कि बच्चे को कई मशक्कत से एडमिशन करवाने के बाद भी स्कूल नहीं भेज पाएंगे। पिछले दो साल में पहली बार एडमिशन लेने वाले नर्सरी के 30 हजार बच्चे अब तक अपना स्कूल देख नहीं पाए हैं।
ऐसे बच्चों ने टीचर को भी मोबाइल पर देखा है। अ, आ, इ और ए, बी, सी भी नहीं जानने वाले बच्चों ने पिछले साल जैसे-तैसे ऑनलाइन क्लास अटेंड की, इस साल भी वही हालात हैं। कोरोना का प्रकोप कब कम होगा व कब विधिवत स्कूल खुलेंगे, इसको लेकर अभी तक कोई तस्वीर साफ नहीं है। ऐसे हालात में बेसिक शिक्षा तो बच्चा सीख जाएगा, लेकिन माहौल जो कुछ सीखने को मिलता है, वह गायब है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे स्थिति में पैरेंट्स को चिंता करने के बजाय बच्चों को घर में पर सिखने-सिखाने में मदद करनी चाहिए।
केस 1 : लालडांठ रोड निवासी जगदीश पांडे ने मार्च में बेटी का एडमिशन करवाया । अप्रैल तक की फीस जमा कर दी, लेकिन कोरोना के कारण स्कूल नहीं खुला। बेटी बैठना, लिखना व बेसिक बढ़ना सीख जाए इसलिए मोहल्ले में ट्यूशन भेज रहे हैं।
केस 2 : पॉलीशीट निवासी महेश चंद्र ने फरवरी में बच्चे का एडमिशन एलकेजी में करवाया। उम्मीद थी कि अप्रैल से स्कूल खुल जाएंगे। उससे पहले ही कोरोना के मामले बढ़ने से सख्ती बढ़ गई। अब घर में ही उसे पढ़ा रहे हैं, ताकि वह पीछे न रह जाए।
केस 3 : कुसुमखेड़ा निवासी प्रतीक ने पिछले साल अपने बच्चे का नर्सरी में एडमिशन करवाया। कोरोना के कारण बच्चा पूरे साल स्कूल नहीं जा पाया। ऑनलाइन क्लास में जैसे-तैसे बैठाया साथ में मम्मी को बैठना पड़ता है। अभी भी स्कूल नहीं खुल पाए हैं।
टीचर ऑनलाइन पढ़ा रहे हैं, लेकिन स्कूल आकर क्लास में बच्चे का जो विकास होता, उसका तो नुकसान है। दूसरे बच्चों के साथ आना-जाना, खाना, बैठना, पढ़ना भी बहुत कुछ सिखाता है। प्रेयर, स्पोर्ट्स एक्टिविटी भी मिसिंग हैं। पैरेंट्स कुछ मदद कर सकते हैं।
-डा. पीके रौतेला, प्रधानाचार्य सिंथिया सीनियर सेकेंडरी स्कूल
आज के समय में ऑनलाइन पढ़ाई के इंटरनेट, दूरदर्शन सकेत कई माध्यम हैं। हालांकि क्लास का माहौल आॅनलाइन मिलन मुश्किल होता है। घर पर अभिभावक बच्चों को कुछ एक्टिविटी कराएं। पहले के समय में बच्चे घर पर ही बहुत कुछ सिखते थे।
-एचके मिश्रा, खंड शिक्षा अधिकारी हल्द्वानी
छोटी उम्र में बच्चा चीजों को जल्दी पकड़ता है। बच्चे को घर पर क्लॉस जैसा माहौल दें। उसे स्कूल बैग, टिफिन, पानी की बॉटल दें। डॉट डॉट बनाकर अ, आ व ए, बी, सी भरने को दें। कलर करने को दें। खेल-खेल में सिखाने का प्रयास करें।
-डा. युवराज पंत, वरिष्ठ मनोविज्ञानी राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी
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