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उत्तराखंड परिवहन निगम में चालकों की कमी, हर माह करीब 200 बसें नहीं जा पा रहीं रूट पर

उत्तराखंड परिवहन निगम में चालकों की कमी से बसों का संचालन प्रभावित हो रहा है। आंकड़ों के मुताबिक स्टाफ की कमी के कारण हर माह करीब 200 बसें रूट पर नहीं जा पाती। इसमें 100 गाडिय़ां सिर्फ हल्द्वानी डिपो की शामिल हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 27 Aug 2021 09:41 AM (IST)Updated: Fri, 27 Aug 2021 09:41 AM (IST)
उत्तराखंड परिवहन निगम में चालकों की कमी, हर माह करीब 200 बसें नहीं जा पा रहीं रूट पर
उत्तराखंड परिवहन निगम में चालकों की कमी, हर माह करीब 200 बसें नहीं जा पा रहीं रूट पर

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : उत्तराखंड परिवहन निगम में चालकों की कमी से बसों का संचालन प्रभावित हो रहा है। आंकड़ों के मुताबिक स्टाफ की कमी के कारण हर माह करीब 200 बसें रूट पर नहीं जा पाती। इसमें 100 गाडिय़ां सिर्फ हल्द्वानी डिपो की शामिल हैं। नैनीताल रीजन के आठ डिपो में 86 चालकों के पद खाली पड़े हैं। वहीं, पिछले साढ़े तीन साल से मृतक आश्रित कोर्ट में भर्ती नहीं होने के कारण दिक्कत और बढ़ रही है। डिपोवार ब्योरा देने के बावजूद मुख्यालय से कोई मदद नहीं मिली।

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नैनीताल रीजन के आठ डिपो में कुल 395 बसों का बेड़ा है। परिवहन विभाग के फार्मूले और संचालन की व्यवस्था के हिसाब 841 चालक होने चाहिए, लेकिन निगम के पास नियमित, संविदा, विशेष श्रेणी के मिलाकर 755 चालक हैं। जिस वजह से अक्सर अलग-अलग रूटों की बसें अटक जाती है। कर्मचारी संगठनों की बैठक, आंदोलन और एक साथ ज्यादा स्टाफ के अवकाश पर जाने पर संचालन व्यवस्थित करना मुश्किल हो जाता है।

रोडवेज में चालकों का फार्मूला

लोकल रूट पर रोज लगातार एक चालक ड्यूटी कर लेता है। दिल्ली रूट से आने के बाद ड्राइवर को वन डे ड््यूटी रेस्ट देना अनिवार्य होता है। हल्द्वानी टू जालंधर, लुधियाना व जयपुर जैसे बड़े मार्गों पर दो चालक भेजे जाते हैं। दोनों के लौटने पर उन्हें सेवा विश्राम मिलता है। और दो नए चालक गाड़ी लेकर जाते हैं। वहीं, सप्ताह में एक दिन अवकाश का नियम स्थानीय और लंबे दोनों रूट के चालकों के लिए होता है।

इसलिए छुट्टी न रोकने को कहा

हाल में रोडवेज मुख्यालय ने प्रदेश के सभी डिपो के लिए आदेश जारी किया था। इसके मुताबिक चालकों का वीकली ऑफ पेंडिंग न रखने को कहा गया। दरअसल, अक्सर कई चालक एक साथ छुट्टी लेकर घर चले जाते थे। जिस वजह से बसें डिपो में खड़ी हो जाती थी। और निगम को घाटा उठाना पड़ता।

50 परिचालक भी चाहिए

नैनीताल रीजन के आठ डिपो में पचास परिचालकों के पद भी लंबे समय से खाली चल रहे हैं। यही वजह है कि ई-टिकट मशीन खराब होने पर परिचालक ड्यूटी जाने को लेकर आनाकानी करने लगते हैं। क्योंकि, मैन्युल टिकट बनाने में काफी समय लगता है। इस वजह से भी कई बार गाडिय़ां रूट पर नहीं जा पाती। आरएम कुमाऊं यशपाल सिंह ने बताया कि चालक के अलावा परिचालकों की कमी की रिपोर्ट मुख्यालय तक भेज दी गई है। पूरी कोशिश रहती है कि संचालन प्रभावित न हो। उसके बावजूद कभी दिक्कत आ जाती है।

फ्री सवारी पर भी निगम को 14 लाख का फायदा

रक्षाबंधन के दिन रोडवेज ने बहनों को मुफ्त में यात्रा करवाई थी। उत्तराखंड की सीमा के अंदर उनसे कोई पैसा नहीं लिया गया। इसके बावजूद परिवहन निगम ने पर्व पर 14 लाख रुपये ज्यादा कमाए। अफसरों के मुताबिक महिलाओं के साथ बड़ी संख्या में पुरुष यात्री भी गाड़ी में सवार हुए थे। इसके अलावा दोपहर तक लंबे रूटों से वापसी करने वाली गाडिय़ां भी पैक होकर हल्द्वानी पहुंची थी। आम दिनों में नैनीताल रीजन से अधिकतम 60 लाख रुपये रोजाना आय मिलती थी। रविवार को 14 लाख की बढ़ोतरी के साथ आंकड़ा 74 लाख पार हो गया।


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