कोरोना की दूसरी लहर में 13 हजार कर्मचारियों ने भविष्य निधि से दो माह में 26 करोड़ निकाला
कोरोना की दूसरी लहर में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने 13 हजार से अधिक कर्मचारियों को आर्थिक संबल प्रदान किया। आर्थिक तंगी के दौर में बीमारी के उपचार मकान बनाने बच्चों की शिक्षा विवाह जैसे जरूरी कार्यों के लिए भविष्य निधि (पीएफ) ने सहारा दिया।
गणेश पांडे, हल्द्वानी : कोरोना की दूसरी लहर में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने 13 हजार से अधिक कर्मचारियों को आर्थिक संबल प्रदान किया। आर्थिक तंगी के दौर में बीमारी के उपचार, मकान बनाने, बच्चों की शिक्षा, विवाह जैसे जरूरी कार्यों के लिए भविष्य निधि (पीएफ) ने सहारा दिया। वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान दो माह में ही 26.12 करोड़ का भुगतान किया गया।
कोरोना काल में अधिकतर लोग घर पर रहकर स्वस्थ हो गए। गंभीर बीमारों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ी। सरकारी अस्पतालों में बेड कम पड़ने से कई लोग निजी अस्पतालों में जाने को मजबूर हुए। ऐसे मरीजों को मोटी रकम खर्च करनी पड़ी। ऐसे हालात में कई लोगों के लिए पीएफ बड़ा सहारा बना। कुमाऊं के 7500 अंशधारकों ने अपने पीएफ से 14 करोड़ रुपये की आंशिक निकासी की। रिटायर्ड हो चुके दो हजार कर्मचारियों ने भी कोरोना काल में पीएफ का आहरण किया। इंश्यारेंस, पेंशन क्लेम व अकाउंट मर्ज संबंधित तीन हजार दावों का निपटारा किया।
पिछले साल 1.68 लाख दावों का निस्तारण
ईपीएफओ हल्द्वानी ने पिछले साल 1.68 लाख से अधिक दावों का निस्तारण कर किया। कोरोना की पहली लहर में शुरू की गई विशेष स्कीम के तहत 34 हजार से अधिक दावों में 5.56 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। पीएम गरीब कल्याण योजना के तहत 13 हजार कर्मचारियों का कर्मचारी व नियोक्ता अंशदान सरकार दे रही है।
दोबारा कोरोना एडवांस का विकल्प
कोरोना की दूसरी लहर को देखते हुए कोरोना एडवांस का लाभ फिर शुरू हो गया है। पहले कोरोना एडवांस ले चुके सदस्य भी दूसरे का विकल्प चुन सकते हैं। एडवांस लेने की प्रक्रिया पहले जैसी है। तीन महीने के मूल वेतन व महंगाई भत्ते की सीमा या सदस्य की जमा राशि का 75 प्रतिशत तक, दोनों में जो कम हो, लिया जा सकता है। कुमाऊं में 2.20 लाख सक्रिय अंशधारक हैं। सहायक आयुक्त ईपीएफओ हल्द्वानी उदित साह ने बताया कि कोरोना काल में पीएफ ने बड़ी राहत पहुंचाई। अप्रैल व मई में करीब 13 हजार दावों का निस्तारण किया गया। इसमें आंशिक निकासी करने वाले नौकरीपेशा लोग अधिक रहे।
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