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विज्ञान-प्रौद्योगिकी का अधिक अच्छा इस्तेमाल कर सकती हैं महिलाएं: वांगचुक

आइआइटी रुड़की में आयोजित कार्यक्रम में सेमकॉल के संस्थापक सोनम वांगचुक ने कहा कि महिलाएं विज्ञान-प्रौद्योगिकी का अधिक अच्छा इस्तेमाल कर सकती हैं।

By Sunil NegiEdited By: Published: Thu, 13 Feb 2020 06:56 PM (IST)Updated: Sun, 16 Feb 2020 11:40 AM (IST)
विज्ञान-प्रौद्योगिकी का अधिक अच्छा इस्तेमाल कर सकती हैं महिलाएं: वांगचुक
विज्ञान-प्रौद्योगिकी का अधिक अच्छा इस्तेमाल कर सकती हैं महिलाएं: वांगचुक

रुड़की, जेएनएन। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की और विज्ञान व प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) ने विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीईएम) में लैंगिक समानता बढ़ाने के उद्देश्य से विज्ञान ज्योति योजना के लिए सहयोग करार किया है। आइआइटी रुड़की परिसर में इस योजना का शुभारंभ किया गया। 

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आइआइटी रुड़की के बायोटेक्नोलॉजी विभाग के सभागार में गुरुवार को विज्ञान ज्योति योजना को लांच किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख (सेमकॉल) के संस्थापक सोनम वांगचुक उपस्थित रहे। इस मौके पर उन्होंने कहा कि इस बात की खुशी है कि सरकार की ओर से बालिकाओं को विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित के क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए विज्ञान ज्योति स्कीम की शुरुआत की गई है। कहा कि विज्ञान और तकनीक के लिए जिज्ञासा का होना बेहद जरूरी है। इसके अलावा किसी भी चीज को बारीकी से देखने की क्षमता और उसका इस्तेमाल करना आना भी महत्वपूर्ण है।

वांगचुक ने कहा कि हर मां वैज्ञानिक होती है और उसकी रसोई प्रयोगशाला के समान होती है। बाल्यकाल में बच्चों को मां से विज्ञान से जुड़ी कई सारी बातें सीखने का मौका मिलता है। उनका मानना है कि पुरुषों की तुलना में महिलाएं विज्ञान एवं तकनीक का अधिक अच्छा इस्तेमाल कर सकती हैं। 

आइआइटी रुड़की के निदेशक प्रो. अजित कुमार चतुर्वेदी ने कहा कि विज्ञान ज्योति स्कीम जैसे कार्यक्रमों से जुड़कर संस्थान को समाज एवं देश के विकास में भागीदार बनने का सुनहरा अवसर मिल रहा है। कहा कि लोगों की मानसिकता में बदलाव के कारण बालक और बालिकाओं के बीच किया जाने वाला भेदभाव कम होता जा रहा है। बताया कि उनके संस्थान में छात्राओं के लिए विशेष सीटें रखी गई हैं। इस समय सभी ब्रांचों में छात्राओं की संख्या 17 फीसद तक है, जबकि इस साल होने वाले दाखिलों में छात्राओं की संख्या सभी ब्रांचों में 20 फीसद तक हो जाएगी। प्रो. चतुर्वेदी ने छात्राओं से कहा कि वे किसी भी क्षेत्र में कॅरियर बनाने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन इससे पहले उन्हें खुद के हुनर को खोजना होगा। जिससे वे अपनी रूचि को ध्यान में रखते हुए उस दिशा में कदम बढ़ाएं और सफलता हासिल कर सकें। 

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बताया कि विज्ञान ज्योति स्कीम में आइआइटी रुड़की जवाहर नवोदय विद्यालय के लिए नॉलेज पार्टनर की भूमिका निभाएगा। कार्यक्रम में जवाहर नवोदय विद्यालय हरिद्वार और केवि की छात्राओं ने प्रतिभाग लिया। छात्राओं ने संस्थान की विभिन्न महिला फैकल्टी, विभिन्न विभागों और डिग्री प्रोग्राम के विद्यार्थियों से एसटीईएम में उच्च शिक्षा और कॅरियर की संभावनाओं पर चर्चा की। इस दौरान विज्ञान ज्योति कार्यक्रम के लिए आइआइटी रुड़की की कोर्डिनेटर और एनएसएस एवं एनसीसी की संकाय सलाहकार प्रो. प्रणिता पी सारंगी, गीतांजलि, विष्णु प्रिया सिंह आदि उपस्थित रहे।

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