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अंतिम संस्कार में लकड़ी की जगह उपले का प्रयोग करो

रोटरी क्लब रुड़की सेंट्रल पर्यावरण की रक्षा के लिए लकड़ी के प्रयोग को कम करने के प्रयास करेगा। इसके लिए क्लब प्रोजेक्ट मोक्ष की शुरुआत करेगा जिसमें शहर के पुरोहित वर्ग की ओर से भी सहयोग किया जाएगा।

By JagranEdited By: Published: Mon, 12 Jul 2021 09:02 PM (IST)Updated: Mon, 12 Jul 2021 09:02 PM (IST)
अंतिम संस्कार में लकड़ी की  जगह उपले का प्रयोग करो
अंतिम संस्कार में लकड़ी की जगह उपले का प्रयोग करो

जागरण संवाददाता, रुड़की: रोटरी क्लब रुड़की सेंट्रल पर्यावरण की रक्षा के लिए लकड़ी के प्रयोग को कम करने के प्रयास करेगा। इसके लिए क्लब प्रोजेक्ट मोक्ष की शुरुआत करेगा, जिसमें शहर के पुरोहित वर्ग की ओर से भी सहयोग किया जाएगा।

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रोटरी क्लब रुड़की सेंट्रल की ओर से सोमवार को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की परिसर स्थित द इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स लोकल सेंटर में शहर के पुरोहितों के साथ बैठक की गई। इस मौके पर क्लब के अध्यक्ष पीयूष गर्ग ने बताया कि क्लब पर्यावरण रक्षा के लिए जहां पौधारोपण और जंगल बनाओ जैसी गतिविधियों में अग्रणी भूमिका में रहता है, वहीं इस साल लकड़ी के उपयोग को कम करने की कोशिश करेगा। इसके अंतर्गत प्रोजेक्ट मोक्ष का उद्घाटन रोटरी डिस्ट्रिक्ट गर्वनर अजय मदान करेंगे। प्रोजेक्ट के चेयरमैन डा. एलपी सिंह ने बताया कि हिदू धर्म में अंत्येष्टि संस्कार में लगभग चार-पांच कुंतल लकड़ी का प्रयोग होता है। यदि इस लकड़ी का एक चौथाई भाग उपलों से पूरा किया जाए, तो प्रति संस्कार न्यूनतम एक कुंतल लकड़ी की बचत हो सकती है। वर्तमान में जब पर्यावरण की रक्षा एक बहुत महत्वपूर्ण विषय है तो लकड़ी की बचत को एक प्रकार से लकड़ी उगाने के समान माना जा सकता है। रोटेरियन मयंक गुप्ता ने बताया कि रुड़की सेंट्रल क्लब शहर के निकटवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों से उपलों को उपलब्ध करवाएगा। उपलों के माध्यम से स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को रोजगार भी प्राप्त होगा। आचार्य रजनीश शास्त्री ने कहा कि अंतिम संस्कार में उपलों का प्रयोग शास्त्रों के अनुरूप है। इस प्रकार के प्रयोगों से ही पर्यावरण संरक्षण संभव है। इस मौके पर डा. अचल मित्तल, डा. रजत अग्रवाल, आचार्य नागेंद्र व्यास, पंडित जगदीश प्रसाद पैन्यूली, पंडित लोकेश शास्त्री, आचार्य राजकुमार कौशिक, आचार्य हरीश डिमरी आदि उपस्थित रहे।


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