हरिद्वार में गंगा में डूबे दो दोस्त, एक का शव बरामद
हरिद्वार के कनखल में दो दोस्त गंगा के तेज बहाव में बह गए। एक युवक का शव कुछ दूरी पर रेत में फंसा मिला जबकि दूसरे युवक का अभी कुछ पता नहीं चला है।
हरिद्वार, जेएनएन। कनखल में दो दोस्त गंगा के तेज बहाव में बह गए। तीसरा दोस्त घाट पर पहुंचा तो दोनों युवकों की चप्पल व बाइक लावारिस मिली। सूचना पर कनखल थाने की पुलिस ने गोताखोरों की मदद से दोनों युवकों की तलाश कराई। एक युवक का शव कुछ दूरी पर रेत में फंसा मिला, जबकि दूसरे युवक का अभी कुछ पता नहीं चला है।
पुलिस के मुताबिक, निर्मला छावनी हरिद्वार निवासी दीपक, संन्यास रोड कनखल निवासी राहुल और ज्वालापुर कड़च्छ निवासी मनीष रानीपुर मोड में एक गारमेंटस शोरूम में काम करते थे। दुकान से छुट्टी होने के चलते तीनों गंगा किनारे टाइम पास करने के लिए कनखल गए थे। मनीष कुछ दूर पहले ही बाइक से उतरकर सिगरेट लेने चला गया। कुछ देर बाद जब वह श्रीयंत्र घाट के पास पहुंचा तो गंगा किनारे दीपक व राहुल की चप्पल रखी हुई थी। बाइक भी लावारिस खड़ी हुई थी।
उसने आस-पास दोनों की तलाश की, पर कुछ पता नहीं चल पाया। इसके बाद मनीष घाट से वापस लौट गया। उधर, दीपक के घर न लौटने पर उसके परिजनों को चिंता हुई। उसका मोबाइल भी लगातार बंद आ रहा था। उन्होंने मनीष के मोबाइल पर कॉल की तो उसने पूरा माजरा बताया। जिसके बाद परिजनों ने कनखल थाना पुलिस को सूचना दी। कनखल एसओ हरिओम राज चौहान मनीष को साथ लेकर घटनास्थल पर पहुंचे।
तब तक राहुल के परिजन भी घाट पर आ गए। जल पुलिस के गोताखोरों को बुलाकर गंगा में दोनों की तलाश कराई गई। काफी मशक्कत के बाद दीपक 35 वर्ष पुत्र महेंद्र कुमार निवासी निर्मला छावनी हरिद्वार का शव कुछ दूरी पर बरामद हो गया। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दिया। कनखल एसओ हरिओम राज चौहान ने बताया कि गंगा में लापता दीपक का शव मिल गया है, राहुल की तलाश की जा रही है।अक्सर जाते थे गंगा किनारे
गारमेंटस की दुकान पर कई साल से साथ काम करने के चलते दीपक, राहुल व मनीष अच्छे दोस्त थे। दुकान से छुट्टी होने पर तीनों अक्सर टाइम पास करने के लिए कनखल के गंगा क्षेत्र में जाते थे। तीनों वहां खाना पीना करने के साथ घंटों समय बिताकर आते थे। मायापुर स्कैप चेनल से निकलने वाली गंगा की यह धारा सतीघाट से होते हुए मातृसदन के बगल से गुजरती है। प्रेमनगर आश्रम पुल के पास गंगनहर से निकलने वाला रजबाहा भी आगे चलकर श्रीयंत्र मंदिर के पास इसी जलधारा में मिलता है। इस कारण यहां पानी का बहाव तेज है। जिस समय यह हादसा हुआ, आस-पास कोई मौजूद भी नहीं था। अन्यथा दोनों को बचाया जा सकता था।
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