पुलिस की दो टीमों ने पश्चिमी यूपी में डाला डेरा, जानिए क्यों
सर्राफा कारोबारी पिता-पुत्र को लूटने के मामले में पुलिस की दो टीमें वारदात के बाद से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में डेरा डाले हुए हैं, लेकिन अभी तक पुलिस के हाथ खाली हैं।
देहरादून, जेएनएन। पुलिसकर्मी बनकर मेरठ के सर्राफा कारोबारी पिता-पुत्र को लूटने वाले दून पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बन गए हैं। पुलिस की दो टीमें वारदात के बाद से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में डेरा डाले हुए हैं, लेकिन 48 घंटे का वक्त गुजर जाने के बाद भी पुलिस के हाथ कोई ऐसा सुराग नहीं लगा है, जिससे लुटेरों के तलाश की दिशा तय की जा सके।
बता दें, जंतीवाड़ा, मेरठ निवासी मितुष रस्तोगी मंगलवार को आभूषणों का सैंपल दिखाने और आर्डर लेने देहरादून आए थे। इसी दिन दोपहर सवा बजे के करीब घंटाघर स्थित इलाहाबाद बैंक के पास पहुंचे तो एक व्यक्ति उनके पास आया और खुद को पुलिसकर्मी बताकर कहने लगा है कि उसके साहब दूसरी ओर खड़े हैं। उनके बैग की चेकिंग की जानी है। जिसके बाद उसने उनका बैग लिया, जिसमें सोने और हीरे के करीब 15 लाख रुपये के जेवर थे। इस बीच बाइक पर सवार दो लोग पहुंचे और बैग लेकर फरार हो गए।
एसएसपी निवेदिता कुकरेती ने बताया कि घंटाघर औ चकराता रोड पर लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज में दिख रहे संदिग्धों की फोटो और फुटेज को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सभी थानों में भेज दिया गया है। पुलिस बनकर ठगी करने वाले गैंग के बारे में जानकारी जुटाई जा रही है। फिलहाल अभी कुछ खास जानकारी हाथ नहीं लगी है।डेटा डंप से सुराग मिलने की उम्मीद
पुलिस शातिरों तक पहुंचने के लिए डेटा डंप का सहारा भी ले रही है। डेटा डंप के तहत पुलिस इलाके में सक्रिय सभी मोबाइल का ब्योरा जुटा कर उसके मूवमेंट के आधार पर संदिग्ध की पहचान करती है। पुलिस को उम्मीद है कि इससे शातिरों का कोई न कोई सुराग मिल सकता है। फिलहाल अधिकारियों का कहना है कि शातिरों तक पहुंचने के लिए हरसंभव कदम उठाए जा रहे हैं। तकनीकी और मुखबिर तंत्र दोनों की मदद ली जा रही है।
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