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12 साल बाद मिला इंसाफ तो पड़ी कलेजे को ठंडक, पढ़िए पूरी खबर

रामपुर में 12 साल पहले सीआरपीएफ कैंप पर हुए हमले में हरिद्वार जिले के भी दो जाबांज शहीद हुए थे। अदालत ने दोषियों को फांसी की सजा सुनाई तो उनके स्वजनों के कलेजे को ठंडक पहुंची है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sun, 03 Nov 2019 04:30 PM (IST)Updated: Sun, 03 Nov 2019 04:30 PM (IST)
12 साल बाद मिला इंसाफ तो पड़ी कलेजे को ठंडक, पढ़िए पूरी खबर
12 साल बाद मिला इंसाफ तो पड़ी कलेजे को ठंडक, पढ़िए पूरी खबर

हरिद्वार, जेएनएन। उत्तर प्रदेश के रामपुर में 12 साल पहले सीआरपीएफ कैंप पर हुए हमले में हरिद्वार जिले के भी दो जाबांज शहीद हुए थे। अदालत ने दोषियों को फांसी की सजा सुनाई तो उनके स्वजनों के कलेजे को ठंडक पहुंची है। हालांकि एक को उम्रकैद और एक अन्य को दस साल की सजा सुनाए जाने से स्वजन मायूस भी हैं। उन्होंने कहा कि वे इस बारे में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी मिलेंगे। 

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हरिद्वार के पास लक्सर के रहने वाले शहीद अफजाल अहमद की पत्नी अकीला बेगम को जब फैसले की जानकारी मिली तो उनकी आंखों में नमी तैर गई। बोलीं, 12 साल बीत गए, लेकिन संतुष्टि यह है कि इंसाफ मिला। बावजूद इसके अकीला की मांग है कि दो अन्य को भी फांसी की सजा मिलनी चाहिए। इसके लिए वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने को भी तैयार हैं।

उन्होंने कहा कि वह मुख्यमंत्री से मांग करेंगी कि फैसले को चुनौती देते हुए अन्य दो को मृत्यु दंड दिलाया जाए। अकीला के दो बेटे हैं मोहम्मद अदनान व मोहम्मद आफाक। लक्सर में अपने पुश्तैनी मकान में रह रही अकीला कहती हैं कि बड़े बेटा वकील है व कुछ दिन पहले ही प्रैक्टिस शुरू की है  और छोटा बेरोजगार। बताया कि शहादत के बाद उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार से एक-एक लाख रुपये की सहायता दी गई थी। परिवार का खर्च पेंशन से ही चल रहा है। 

शहीद विकास पर गांव को है गर्व 

हरिद्वार से सटे बहादरपुर गांव के रहने वाले शहीद विकास कुमार सैनी के पिता कवर पाल सैनी के लिए भी यह भावुक पल है। अदालत के फैसले की जानकारी मिलने पर उन्होंने कहा कि इंसाफ तो मिला, लेकिन बहुत विलंब के बाद। वह कहते हैं कि आतंकवाद से संबंधित मामलों की सुनवाई में ज्यादा देर नहीं की जानी चाहिए। वह बताते हैं कि विकास की शहादत पर गांव को गर्व है। वह बताते हैं कि विकास का विवाह नहीं हुआ था। शहादत के बाद उसके छोटे अजय कुमार को सीआरपीएफ में नौकरी दी गई। हालांकि उन्हें मलाल है कि गांव के बाहर उनके बेटे के नाम पर बना शहीद द्वार आज जर्जर हो चुका है। वह कहते हैं कि कम से कम सरकार इसकी मरम्मत ही करा दे। 

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फैसले से खुश शहीद देवेंद्र के पिता 

काशीपुर(ऊधमसिंह नगर): शहीद देवेंद्र कुमार के गांव व घर वालों को रामपुर कोर्ट से फैसला आने के बाद राहत मिली है। काशीपुर के निकट कटैय्या स्थित शहीद देवेंद्र के आवास पर मौजूद पिता धर्मवीर सिंह और माता इंद्रवती ने कहा कि हम कोर्ट के फैसले से खुश हैं, लेकिन सभी दोषियों को फांसी की ही सजा होनी चाहिए थी। बोले, हमने तो अपना सपूत खो दिया, लेकिन हमले करने वालों को सख्त संदेश कोर्ट ने दिया है। 

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