इस स्कूल ने अनुसूचित जाति का बताकर नहीं दी युवक को नौकरी
हरिद्वार के एक स्कूल में युवक को सिर्फ इसलिए नौकरी नहीं दी गर्इ, क्योंकि वह अनुसूचित जाति का था।
हरिद्वार, [जेएनएन]: तमाम प्रयास के बावजूद देश में छुआछूत और जातिवाद का जहर कम नहीं हो पा रहा है। ताजा मामला रुड़की के एक स्कूल का है। सेंट जोसेफ जूनियर हाईस्कूल के प्रबंधन ने चौकीदार के पद पर कार्यरत व्यक्ति के निधन के बाद उसके पुत्र को इसलिए नौकरी पर रखने से इन्कार कर दिया कि वह अनुसूचित जाति का है। स्कूल प्रबंधन ने शिक्षा विभाग को भेजे अपने जवाब में उल्लेख किया है कि 'स्व चंद्रभान अनुसूचित जाति के थे। इसलिए उनके पुत्र से अच्छे कार्य की अपेक्षा नहीं की जा सकती।'
मामले की गंभीरता को देखते हुए हरिद्वार के जिला शिक्षा अधिकारी (प्राथमिक शिक्षा) ब्रह्मपाल सिंह सैनी ने प्रबंधन को नोटिस जारी कर एक सप्ताह में व्यक्तिगत तौर पर उपस्थित होने को कहा है। ऐसा न करने पर उन्होंने प्राथमिकी दर्ज कराने की चेतावनी दी है।
जिला शिक्षाधिकारी (प्राथमिक शिक्षा) ब्रह्मपाल सिंह सैनी ने बताया कि सेंट जोसेफ जूनियर हाईस्कूल में कार्यरत चौकीदार चंद्रभान का 11 जुलाई 2011 को निधन हो गया था। इस पर चंद्रभान के पुत्र रणधीर सिंह ने पिता के स्थान पर मृतक आश्रित के तौर पर नौकरी के लिए आवेदन किया, लेकिन उसे नियुक्ति नहीं दी गई। जब तमाम प्रयास के बाद भी रणधीर की नियुक्ति नहीं हुई तो उसने जिला शिक्षा अधिकारी से मामले की शिकायत की। शिकायत पर कार्रवाई करते हुए शिक्षा विभाग ने स्कूल से मामले में अपना पक्ष रखने को कहा। इस पर स्कूल प्रबंधन का जवाब चौंकाने वाला था।
जिला शिक्षाधिकारी सैनी के मुताबिक जवाब में स्कूल प्रबंधन ने उल्लेख किया कि 'स्व. चंद्रभान अनुसूचित जाति का था। इसलिए उसके पुत्र से अच्छे कार्य की अपेक्षा नहीं की जा सकती। पिता के गलत आचरण के कारण मृतक आश्रित के पद पर रणधीर सिंह की नियुक्ति किया जाना संभव नहीं है।' डीईओ सैनी ने कहा कि प्रबंधन की भाषा आपत्तिजनक है। किसी को जाति धर्म के आधार पर सेवा के अधिकार से वंचित करना गैर कानूनी है।
उन्होंने बताया कि 23 जून को जारी नोटिस में स्कूल प्रबंधन को एक सप्ताह में कार्यालय में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का आदेश दिया गया है। यदि एक सप्ताह में आदेश का पालन न किया गया तो प्रबंधन के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया जाएगा।
दूसरी ओर सेंट जोसेफ जूनियर हाईस्कूल की प्रबंध समिति में शामिल फादर डॉ. देवशिया ने आरोपों से इन्कार करते हुए सफाई दी कि संस्था के नियमों के अनुसार रणधीर को नौकरी पर नहीं रखा जा सकता। कहा कि उनके स्कूल में किसी तरह का भेदभाव नहीं है, गैर क्रिश्चियन भी नौकरी पर हैं। हालांकि शिक्षा विभाग को दिए गए जवाब पर उन्होंने कोई टिप्पणी नहीं की।
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