शहर में पार्किंग है नहीं और वसूला जा रहा नो-पार्किंग का जुर्माना
जागरण संवाददाता रुड़की अंग्रेजों की बसाई शिक्षानगरी में एक अदद पार्किंग तक नहीं। बाजार
जागरण संवाददाता, रुड़की : अंग्रेजों की बसाई शिक्षानगरी में एक अदद पार्किंग तक नहीं। बाजार में गाड़ी लेकर आने वालों को खरीदारी की कम गाड़ी की सुरक्षा की ज्यादा चिता रहती है। गाड़ी या तो सड़क पर खड़ी होगी या फिर दो किमी दूर। दस साल से शहर में पार्किंग को लेकर मशक्कत हो रही हैं। लेकिन, जनप्रतिनिधि और अफसर निरीक्षण और प्रस्ताव भेजने तक सीमित हैं।
रुड़की शहर की बात की जाए तो यहां पर एक विकसित बाजार है। शहर के अलावा आसपास के कस्बे और गांव भी रुड़की से ही जुड़े हैं। यहां पर कई राष्ट्रीय स्तर के शिक्षण, रिसर्च एवं सैन्य संस्थान है। इसके बावजूद रुड़की शहर में सबसे बड़ी समस्या पार्किंग की है। सिविल लाइंस हो या मुख्य बाजार, बीटीगंज हो या नेहरू स्टेडियम। कहीं पर भी पार्किंग की कोई व्यवस्था नहीं है। बाजार में आने वाले व्यक्तियों को गाड़ी खड़ी करने की सबसे बड़ी चिता रहती है। गाड़ी चोरी होने या फिर गाड़ी में तोड़फोड़ व सामान चोरी होने का डर रहता है। कई बार जाम की हालत में पुलिस की क्रेन गाड़ी को उठाकर यातायात लाइन में खड़ा कर देती है। शहर में कहीं पार्किंग है नहीं और पुलिस नोपार्किंग का जुर्माना वसूल रही है। ऐसा नहीं है कि पार्किंग को लेकर मांग ना उठती हो। हरिद्वार रुड़की विकास प्राधिकरण के तत्कालीन उपाध्यक्ष दीपक रावत ने मल्टी स्टोरी पार्किंग बनाने के लिए नगर निगम से प्रस्ताव मांगा। खुद भी बीटीगंज, सिविल लाइंस एवं पड़ाव स्कूल का दौरा किया। प्रस्ताव बनाकर भेजा गया। लेकिन, दस साल से यह प्रक्रिया प्रस्ताव एवं निरीक्षण में ही अटकी है।