हरिद्वार में लगेगा सीवर से तैयार सीएनजी का पहला पंपिंग स्टेशन
सीवरेज शोधन से निकलने वाली स्लज (सीवर सॉलिड वेस्ट) से तैयार सीएनजी (बायो मीथेन) की व्यावसायिक बिक्री के लिए हरिद्वार में पंपिंग स्टेशन लगाने की तैयारी है। कहा जा रहा कि यह देश में अपनी तरह का पहला पंपिंग स्टेशन है जहां स्लज से बनी सीएनजी की व्यावसायिक बिक्री होगी।
हरिद्वार, अनूप कुमार। सीवरेज शोधन से निकलने वाली 'स्लज' (सीवर सॉलिड वेस्ट) से तैयार सीएनजी (बायो मीथेन) की व्यावसायिक बिक्री के लिए हरिद्वार में पंपिंग स्टेशन लगाने की तैयारी है। कहा जा रहा कि यह देश में अपनी तरह का पहला पंपिंग स्टेशन है, जहां स्लज से बनी सीएनजी की व्यावसायिक बिक्री होगी। जल संस्थान इसके लिए जगजीतपुर में भूमि का चयन कर उसका अधिग्रहण भी कर चुका है। उम्मीद है कि पंपिंग स्टेशन नवंबर आखिर तक काम करने लगेगा। इसके लिए सभी औपचारिकताएं पूरी की जा चुकी हैं और लाइसेंस प्रक्रिया चल रही है। पंपिंग स्टेशन पब्लिक-प्राइवेट-पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड में संचालित होगा। इसके लिए जल संस्थान का निजी कंपनी 'एनारोबिक एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड' से एमओयू साइन हो चुका है।
हरिद्वार जल संस्थान की इस पहल ने आम जनता के लिए बाजार भाव से काफी कम कीमत पर सीएनजी उपलब्ध कराने की व्यवस्था कर सरकार और जनता, दोनों को फीलगुड का एहसास कराया है। पहले यहां स्लज को खुले में फेंक दिया जाता था, जिससे आसपास के इलाकों में बदबू के साथ भारी मात्रा में गंदगी भी फैल जाती थी। इसके चलते तमाम मौकों पर प्रशासन को नागरिकों के कोप का भाजन भी बनना पड़ता था। पर्यावरण को नुकसान पहुंचता था, सो अलग। जल संस्थान की इस पहल ने न सिर्फ इन सारी समस्याओं से मुक्ति दिलाई, बल्कि पर्यावरण संरक्षण का काम भी किया है।
(फोटो : गैस डाइजेस्टर डोम)
77 एमएलडी स्लज से बनेगी सीएनजी
फिलहाल 77 एमएलडी सीवरेज जल से निकलने वाली स्लज ही सीएनजी बनाने में इस्तेमाल होगी। एक एमएलडी सीवरेज जल में 300 किलो स्लज निकलती है। इस लिहाज से कुल 23100 किलो स्लज से बायो मीथेन यानी सीएनजी बनाई जाएगी। जल संस्थान के अधिशासी अभियंता अजय कुमार ने बताया कि हाल ही में स्थापित 68 एमएलडी की क्षमता वाली एसटीपी की स्लज का सीएनजी बनाने में फिलहाल इस्तेमाल नहीं हो सकेगा। इसमें अभी स्लज के अलग होने की प्रक्रिया वह नहीं है, जो पुरानी तकनीक पर आधारित एसटीपी में होती है। जब यह व्यवस्था हो जाएगी तो इसका भी इस्तेमाल सीएनजी बनाने में होने लगेगा। बताया कि हरिद्वार में फिलवक्त 132 एमएलडी सीवरेज जल का शोधन होता है। अधिशासी अभियंता के अनुसार फिलवक्त रोजाना 1500 किलो सीएनजी बनाने की तैयारी है। हालांकि, संसाधनों के लिहाज ने इसे रोजाना चार हजार किलो तक बढ़ाया जा सकता है।
(फोटो : कास्केट स्टोरेज)
ऐसी बनेगी गैस
- हरिद्वार शहर के भूपतवाला से ज्वालापुर तक 132 एमएलडी सीवर निकलता है।
- सीवर जगजीतपुर और सराय स्थित एसटीपी में शोधन के लिए पहुंचता है। इन एसटीपी की क्षमता 18, 27, 68, 18 और 14 एमएलडी है।
- इनसे रोजाना करीब 20 क्यूबिक मीटर यानी 670 घनमीटर स्लज निकलता है।
- स्लज को डाइजेस्टर डोम में डाला जाता है, जहां रोटेट और हीटिंग प्रक्रिया से मीथेन मिश्रित गैस उत्पन्न होती है।
- यहां से गैस होल्डर में आती है। शोधन के पश्चात बायो गैस से अन्य गैस अलग हो जाती है और मीथेन सीएनजी अलग।
- इसे कंप्रेसर मशीन के जरिये उच्च दबाव पर कास्केट स्टोरेज में जमा किया जाएगा।
- एक कास्केट स्टोरेज में 20 गैस सिलेंडर होते हैं। एक सिलेंडर में आठ किलो गैस जमा होती है। इस लिहाज से एक कास्केट में 160 किलो गैस स्टोर की जा सकती है। ऐसे दो कास्केट स्टोरेज हैं।
- फिलहाल कास्केट स्टोरेज में जमा गैस को जगजीतपुर पुलिस चौकी के पास बनने वाले सीएनजी पंपिंग स्टेशन पर बेचा जाएगा।
- आउटलेट के लिए भूमि आवंटित हो चुकी है। पंपिंग स्टेशन की लाइसेंस प्रक्रिया चल रही है।
- भविष्य में यहां पाइप लाइन बिछाने के बाद कास्केट की समस्या का निदान हो जाएगा।
(फोटो : कंप्रेसर मशीन)
अन्य सीएनजी से 15 रुपये सस्ती होगी यह गैस
प्रोजेक्ट प्रभारी एवं जल संस्थान के अधिशासी अभियंता अजय कुमार ने बताया कि सीवरेज से बनने वाली सीएनजी की बिक्री कीमत 46.50 रुपये प्रति किलो के आसपास होगी। जबकि, फिलवक्त बाजार में उपलब्ध सीएनजी की कीमत 61.50 रुपये प्रति किलो है।